कारगिल विजय दिवस: कारगिल युद्ध के वीर योद्धा की वीरगाथा: दो हेलीकॉप्टर किए थे शूट, मार गिराए थे कई पाकिस्तानी सैनिक, मिला राष्ट्रपति सम्मान हार नहीं मानी, आत्मनिर्भर बनने की ठानी
लगातार असफलताओं के बावजूद संजय ने खुद को कमजोर नहीं समझा। उन्होंने ठान लिया कि वो किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे। अपने परिवार की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठाने के लिए उन्होंने गैस सिलेंडर की होम डिलीवरी का काम शुरू किया। मोटरसाइकिल से पूरे शहर में वे लोगों के घर-घर जाकर सिलेंडर पहुंचाते हैं।
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हर सिलेंडर पर होती है छोटी कमाई
संजय एक-एक सिलेंडर की डिलीवरी पर करीब 20 रुपये की कमाई करते हैं। दिनभर की मेहनत से जो पैसा इक_ा होता है, उसी से उनका घर चलता है। भले ही आमदनी बहुत बड़ी न हो, लेकिन उन्हें अपने आत्मसम्मान पर गर्व है। उनका मानना है कि मेहनत की कमाई सबसे पवित्र होती है, चाहे वो जितनी भी हो। संजय यादव जैसे लोग समाज में बदलाव की चुपचाप क्रांति ला रहे हैं। उनकी मेहनत, लगन और सकारात्मक सोच आज उन हजारों दिव्यांगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो हालात से हार मानकर घर में बैठे रहते हैं। संजय उन्हें सिखा रहे हैं कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी दिव्यांगता आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।