विपक्ष को बोले, जाने से रोका गया ?
खड़गे ने आरोप लगाया कि धनखड़ ने राज्यसभा में सभापति के रूप में कार्य करते हुए विपक्ष को आवाज़ उठाने का मौका ही नहीं दिया। उन्होंने किसान आंदोलन, गरीबों, दलितों और सामाजिक असमानताओं से जुड़े मुद्दे -“हमने कोशिश की, लेकिन हमें कभी मौका नहीं मिला।”
इस्तीफे को लेकर उठते सवाल
खड़गे ने एक सवाल के जवाब में कहा, “क्या उन्हें किसानों के समर्थन बोलने पर इस्तीफा देना पड़ा? मैं नहीं जानता।” उन्होंने साफ़ किया कि इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है।
कर्नाटक कांग्रेस में भी बदलाव का संकेत
जहां कर्नाटक कांग्रेस इकाई में भी नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा है, वहाँ खड़गे ने कहा कि इसपर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है -“बाद में इस पर बात करेंगे।” वर्तमान में डी. के. शिवकुमार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री का कार्यभार निभा रहे हैं।
धनखड़ हमेशा सरकार के पक्ष में रहे हैं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ कहा, “धनखड़ हमेशा सरकार के पक्ष में रहे हैं, हमें नहीं पता कि अचानक इस्तीफे की असली वजह क्या है।” विपक्ष ने इस कदम को ‘राजनीतिक दबाव’ का नतीजा बताया है। वहीं, सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या यह सचमुच सिर्फ स्वास्थ्य कारण था या अंदरूनी मतभेद?
धनखड़ के बाद कुछ सुलगते सवाल
क्या धनखड़ के बाद NDA किसी नए चेहरे को उप राष्ट्रपति पद पर लाएगा ? क्या यह मोदी-धनखड़ के बीच नीति या सार्वजनिक बयानों को लेकर मतभेद का परिणाम है ? क्या किसानों या विपक्ष के मुद्दे पर सार्वजनिक टिप्पणियों ने केंद्र को असहज किया है ?
विपक्ष को बोलने देने की बात
धनखड़ हाल के महीनों में किसानों और संसद में विपक्ष को बोलने देने की बात करते नज़र आए। क्या उनका रुख सत्तारूढ़ दल के अंदर असहमति का संकेत था? साथ ही, उनका इस्तीफा ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार 2026 की तैयारी में व्यस्त है *यह बदलाव सत्ता समीकरण को कैसे प्रभावित करेगा?
अभी कई सवाल अबूझ पहेली बने हुए
बहरहाल जगदीप धनखड़ का इस्तीफा चाहे स्वास्थ्य कारणों से आया हो, लेकिन राजनीतिक रणनीति और सत्ता समीकरणों पर इससे नए सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस प्रमुख की बयानबाजी बताती है कि इस मामले में अभी कई सवाल अबूझ पहेली बने हुए हैं।