Jhalawar School Roof Collapse: झालावाड़ के सरकारी स्कूल की छत ढहने के दो दिन के बाद भी पिपलोदी गांव में मातम पसरा हुआ है। इस हादसे में एक परिवार ने दो बच्चों को खो दिया। मां-पिता के आंसू नहीं सूख रहे है। घर के जिस आंगन में कुछ दिन पहले तक दो भाई-बहनों की हंसी गूंजा करती थी, अब वहां सन्नाटा है। छह साल के बेटे कान्हा और 12 साल की बेटी मीना को खोने वाली मां रह-रहकर बदहवास हो उठती है।
मां रोते-रोते कहती हैं… मेरा सब कुछ लुट गया। मेरे दो ही बच्चे थे… दोनों चले गए। घर सूना हो गया… मेरे आंगन में खेलने वाला अब कोई नहीं। हे! भगवान मुझे भी उठा ले। वहीं, पिता का भी रो-रोकर बुरा हाल है।
भाई-बहन की अर्थी देख हर आंख नम
जब एक साथ अर्थी पर दो मासूम सगे भाई-बहन कान्हा और मीना को शमशान ले जाया गया तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। थोड़ी दूर बैठी मां के करुण विलाप से माहौल इतना भावुक हो गया कि आस-पास मौजूद लोग भी उसे ढांढस बंधाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। पीपलोदी के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले कक्षा 1 के कान्हा और कक्षा 5 की मीना की इस हादसे में मौके पर ही मौत हो गई।
‘क्या पता था दोनों कभी लौटकर नहीं आएंगे’
दोनों छोटूलाल रैदास के पुत्र-पुत्री थे। एक ही दिन में दोनों बच्चों को खो देने का ग़म परिवार सहन नहीं कर पा रहा है। पूरे गांव में मातम का माहौल है। मृतक बच्चों के ताऊ बद्रीलाल रैदास ने बताया कि शुक्रवार सुबह कान्हा और मीना स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहे थे। किसी को क्या पता था कि वे दोनों कभी लौटकर नहीं आएंगे।
गांव ने 7 बच्चों को खोया
इस हादसे में गांव ने अपने सात नौनिहालों को खोया। शनिवार सुबह सातों बच्चों के शव परिवारों को सौंपे गए, तो अस्पताल के बाहर खड़े परिजनों को संभालना मुश्किल हो गया। हादसे में मृत पांच बच्चों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया। सरकार ने स्कूल के पांच कर्मियों को निलंबित कर उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। शिक्षा मंत्री ने पीड़ित परिजनों को 10-10 लाख रुपये और संविदा पर नौकरी का एलान किया है।
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