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जयपुर

Rajasthan: धनखड़, भैरोंसिंह शेखावत… अब तक जुलाई में 6 उपराष्ट्रपतियों ने दिया इस्तीफा, क्या है इसका रहस्य?

Jagdeep Dhankhar Resign: भारत के उपराष्ट्रपति पद के इतिहास में जुलाई का महीना एक अनोखा और रहस्यमयी संयोग बन गया है।

जयपुरJul 24, 2025 / 06:13 pm

Nirmal Pareek

Jagdeep Dhankhar and Bhairon Singh Shekhawat

(राजस्थान पत्रिका फोटो)

Jagdeep Dhankhar Resign: भारत के उपराष्ट्रपति पद के इतिहास में जुलाई का महीना एक अनोखा और रहस्यमयी संयोग बन गया है। इस महीने में उपराष्ट्रपतियों के इस्तीफे और यहां तक कि एक मौत जैसी असामान्य घटनाएं बार-बार सामने आई हैं, जिसने इस पद के लिए जुलाई को एक तरह से अपशकुन से जोड़ दिया है।
हाल ही में, 21 जुलाई, 2025 को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके कार्यकाल को पूरा होने में अभी दो साल बाकी थे और इस अचानक इस्तीफे ने जुलाई के इस रहस्यमयी पैटर्न को और गहरा कर दिया है।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है और यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह केवल स्वास्थ्य कारणों से लिया गया फैसला था या इसके पीछे कोई गहरी वजह छिपी है।

जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा

दरअसल, जगदीप धनखड़ 2022 से उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने 21 जुलाई, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा। अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।
उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और सांसदों के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। धनखड़ ने अपने कार्यकाल को भारत के आर्थिक और विकासात्मक उन्नति का साक्षी बताया, लेकिन उनके इस अचानक कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।

महाभियोग प्रस्ताव भी हो सकता है कारण

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इस इस्तीफे पर सवाल उठाए। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों से कहीं गहरे कारण हैं। उन्होंने संकेत दिया कि धनखड़ के इस्तीफे का संबंध संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 63 विपक्षी सांसदों द्वारा हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करने से हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार, धनखड़ के इस कदम को न्यायपालिका में हस्तक्षेप माना गया, वहीं इसको लेकर राज्यसभा में पहले प्रस्ताव लाना सरकार के लिए असहज करने वाला रहा। जिसके बाद अंदरखाने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा शुरू हुई। धनखड़ ने शायद इस स्थिति से बचने के लिए इस्तीफा चुना।

क्या है जुलाई का रहस्यमयी संयोग?

मालूम हो कि जगदीप धनखड़ का इस्तीफा उपराष्ट्रपति पद के इतिहास में जुलाई महीने से जुड़े एक असामान्य पैटर्न को और मजबूत करता है। भारतीय इतिहास में अब तक तीन उपराष्ट्रपतियों ने अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया है और सभी ने जुलाई में ऐसा किया। इसके अलावा, एक उपराष्ट्रपति का निधन भी इसी महीने हुआ। यह संयोग भारतीय राजनीति में एक दिलचस्प चर्चा का विषय बन गया है।
वी.वी. गिरि (1969): भारत के पहले उपराष्ट्रपति जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया, वे थे वी.वी. गिरि। 3 मई, 1969 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के आकस्मिक निधन के बाद, संविधान के अनुच्छेद 65(1) के तहत गिरि ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने 20 जुलाई, 1969 को उपराष्ट्रपति और कार्यवाहक राष्ट्रपति दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया। गिरि ने बाद में चुनाव जीतकर भारत के चौथे राष्ट्रपति का पद संभाला।
आर. वेंकटरमण (1987): 1987 में उपराष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने जुलाई 1987 में उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। इस घटना ने मध्यावधि उपराष्ट्रपति चुनाव को अनिवार्य कर दिया।
शंकर दयाल शर्मा (1992): वेंकटरमण के बाद शंकर दयाल शर्मा 3 सितंबर, 1987 को उपराष्ट्रपति चुने गए। 1992 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ा और जीता, जिसके बाद उन्होंने जुलाई 1992 में उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया।
के.आर. नारायणन (1997): 1992 में उपराष्ट्रपति बने के.आर. नारायणन ने 16 जुलाई, 1997 को राष्ट्रपति चुनाव जीता और जुलाई 1997 में उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। वे लगातार तीसरे उपराष्ट्रपति थे जिन्होंने राष्ट्रपति बनने के लिए जुलाई में इस्तीफा दिया।
भैरों सिंह शेखावत (2007): 2007 में उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत ने राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लिया, लेकिन यूपीए-वामपंथी गठबंधन की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल से हार गए। नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद उन्होंने 21 जुलाई, 2007 को राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह पद 21 दिनों तक खाली रहा, जब तक मोहम्मद हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति नहीं चुने गए।
कृष्ण कांत (2002): जुलाई का महीना केवल इस्तीफों तक सीमित नहीं रहा। 1997 से 2002 तक उपराष्ट्रपति रहे कृष्ण कांत भारतीय इतिहास में एकमात्र उपराष्ट्रपति हैं, जिनका कार्यकाल के दौरान निधन हुआ। उनका निधन 27 जुलाई, 2002 को हुआ, जिसने जुलाई के इस संयोग को और गहरा कर दिया।

यहां देखें वीडियो-


क्या है इसकी संवैधानिक प्रक्रिया?

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के लिए तैयारी शुरू कर दी है। संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत) से मिलकर बने एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। उपराष्ट्रपति के रिक्त पद को भरने के लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं है, लेकिन जल्द ही चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण होने की उम्मीद है। तब तक उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा की कार्यवाही संचालित करेंगे।

क्या है जुलाई का रहस्य?

जुलाई में उपराष्ट्रपतियों के इस्तीफे और एक मृत्यु का यह सिलसिला महज संयोग हो सकता है, लेकिन यह भारतीय राजनीति के इतिहास में एक रोचक पैटर्न बनाता है। धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों के अलावा संभावित राजनीतिक तनाव से भी जुड़ा हो सकता है। विपक्ष ने इसे अप्रत्याशित और रहस्यमयी करार दिया है, जबकि कुछ सूत्रों ने संकेत दिया है कि धनखड़ का जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करना सरकार की रणनीति के खिलाफ गया, जिसकी वजह से इस्तीफा हुआ।
जुलाई का यह संयोग भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्या यह केवल समय का खेल है, या इसके पीछे कोई गहरी कहानी छिपी है?

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