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समुद्र के नीचे छिपे प्राचीन मानव रास्तों का खुलासा

प्रोफेसर डॉबसन ने इटली के प्रोफेसर जॉर्जियो स्पाडा और गाया गलासी के साथ मिलकर अत्याधुनिक समुद्र-स्तर पुनर्निर्माण मॉडल का उपयोग कर इन डूबी हुई ज़मीनों का अध्ययन किया।

जयपुरJul 27, 2025 / 05:45 pm

Shalini Agarwal

जयपुर। धरती का एक बड़ा और प्राचीन इतिहास आज समुद्र की गहराइयों में छिपा हुआ है। अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ कन्सास के प्रोफेसर जेरोम डॉबसन ने ऐसे ही डूबे हुए भूभागों के लिए “एक्वाटेरा” (Aquaterra) शब्द गढ़ा — वो ज़मीनें जो कभी इंसानों के रहने और यात्रा करने की जगह थीं, लेकिन अंतिम हिमयुग (Last Ice Age) के बाद समुद्र के बढ़ते जलस्तर में डूब गईं।
समुद्र के नीचे छिपी सभ्यताओं की खोज
प्रोफेसर डॉबसन ने इटली के प्रोफेसर जॉर्जियो स्पाडा और गाया गलासी के साथ मिलकर अत्याधुनिक समुद्र-स्तर पुनर्निर्माण मॉडल का उपयोग कर इन डूबी हुई ज़मीनों का अध्ययन किया।
इन शोधकर्ताओं ने पिछले 30,000 वर्षों में अफ्रीका से यूरेशिया की ओर मानव प्रवास के रास्तों की खोज की, खासकर मिस्र और रेड सी (लाल सागर) के किनारों पर।

बर्फ के पिघलने से बदली धरती की सतह
इस अध्ययन में उन्होंने ग्लेशियल आइसोस्टेटिक एडजस्टमेंट (GIA) नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया — यह तकनीक बताती है कि बर्फ के पिघलने और समुद्री जलस्तर में बदलाव से धरती की सतह कैसे बदली।
SELEN4 मॉडल के ज़रिए वैज्ञानिकों ने मेडिटेरेनियन सागर, लाल सागर और नील घाटी के प्राचीन समुद्री किनारों को फिर से मॉडलिंग कर देखा।

नतीजा चौंकाने वाला रहा — आज की तुलना में लगभग 11% ज़्यादा ज़मीन आखिरी हिमयुग के दौरान मौजूद थी। यही ज़मीनें प्राचीन मानवों के लिए माइग्रेशन ब्रिज यानी सफर के पुल का काम करती थीं।
मानव प्रवास के नए नक्शे
इस अध्ययन में कई ऐसे रास्तों का पता चला, जिनसे प्राचीन मानव अफ्रीका से बाहर निकले:

फाउल बे (Foul Bay) से नील नदी की ओर रास्ता

सूएज पट्टी (Isthmus of Suez) से होता हुआ स्थल मार्ग
अकाबा की खाड़ी से लेवेंट (Levant) की ओर

बाब अल-मंडब से अरब की ओर

सिसिली और मेसिना जलडमरूमध्य से समुद्री रास्ते

डीएनए और जीन विश्लेषण से भी इन रास्तों की पुष्टि हुई है। एक अन्य शोध के मुताबिक नॉर्थ-ईस्ट सूडान (खासकर मेरोए क्षेत्र) को प्राचीन मानवों का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जा रहा है।
खोया हुआ शहर: ‘बेरेनिस एक्वाटेरा’
शोधकर्ताओं का मानना है कि आज की फाउल बे की जगह कभी ‘बेरेनिस एक्वाटेरा’ नाम का एक प्राचीन बंदरगाह शहर था, जो बाद में ग्रीको-रोमन बंदरगाह बेरेनिस ट्रोग्लोडाइटिका में बदला।
इतिहासिक मानचित्रों के अध्ययन से पता चला है कि बेरेनिस नामक शहर के स्थान को लेकर हमेशा भ्रम रहा है — इससे यह संकेत मिलता है कि समय के साथ rising sea level के चलते यह शहर जगह बदलता रहा या डूब गया।
पत्थर की इमारतों पर उगे कोरल रीफ?
फाउल बे दुनिया में सबसे ज़्यादा “पैच कोरल रीफ्स” वाली जगह है। वैज्ञानिकों को इनमें से कई संरचनाएं इंसानी निर्माण जैसी लगती हैं। संभव है कि ये कोरल्स किसी प्राचीन पत्थर की इमारत या ढांचे के ऊपर उगे हों।
शोधकर्ताओं ने लिखा, “इन कोरल संरचनाओं की असामान्य मात्रा कई सवाल खड़े करती है — क्या वाकई यहां कभी मानव बस्तियां थीं?”

मिस्र की उत्पत्ति पर नया दृष्टिकोण
शोध में बताया गया कि मिस्र की शुरुआती सभ्यताओं, जैसे अल-बदारी और नकादा, की जड़ें निचले मिस्र (Lower Egypt) की तुलना में नुबिया और लाल सागर के तटीय इलाकों से ज़्यादा जुड़ी हुई दिखती हैं।
इससे यह संकेत मिलता है कि प्राचीन मानव फाउल बे से नील नदी की ओर गए होंगे, बजाय इसके कि वे सूएज जैसे लंबे स्थल मार्ग से गुजरे हों।

समंदर की गहराइयों में दबा इतिहास
शोधकर्ताओं ने फाउल बे में अंडरवाटर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च यानी समुद्र में खुदाई की सिफारिश की है। उन्होंने समुद्री मानचित्रण, भू-स्थानिक मॉडलिंग और खुदाई जैसे पांच चरणों की अनुसंधान योजना बताई है।
निष्कर्ष में वे कहते हैं — “फाउल बे और सूएज मार्गों पर इस पांच-चरणीय प्रक्रिया को जल्द लागू किया जाना चाहिए।”

इस शोध से पता चलता है कि एक समय ये ‘एक्वाटेरा’ क्षेत्र मानवों की यात्रा, बसावट और व्यापार का हिस्सा थे — लेकिन समुद्र के बढ़ते जलस्तर ने इनकी कहानियों को गहरे में छिपा दिया।
आज, नए तकनीकी मॉडल और पानी के नीचे की खोजों से हम इतिहास के उन अध्यायों को फिर से पढ़ने की कोशिश कर सकते हैं — जो अब तक सिर्फ अंधेरे में दबे हुए थे।
यह अध्ययन Comptes Rendus Géoscience नामक वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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