scriptसीमेंट इकाइयों में बेवजह खप रहा उच्च गुणवत्ता वाला लाइम स्टोन | 200 प्रतिशत बढ़ा आयात: जोधपुर-नागौर की लाइम स्टोन इकाइयों पर संकट | Patrika News
समाचार

सीमेंट इकाइयों में बेवजह खप रहा उच्च गुणवत्ता वाला लाइम स्टोन

200 प्रतिशत बढ़ा आयात: जोधपुर-नागौर की लाइम स्टोन इकाइयों पर संकट

जयपुरJul 25, 2025 / 12:51 am

Jagmohan Sharma

200 प्रतिशत बढ़ा आयात: जोधपुर-नागौर की लाइम स्टोन इकाइयों पर संकट

जयपुर. ‘कैमिकल ग्रेड’ के लाइम स्टोन का बढ़ता आयात सरकार की नींद उड़ा रहा है। करीब एक दशक पहले लाइम स्टोन को माइनर से ​मेजर श्रेणी में लाना अब सरकार के गले की फांस बना गया है। आल इंडिया लाइम मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन का कहना है कि पिछले दो सालों में ‘केमिकल ग्रेड’ के लाइम स्टोन का गल्फ देशों से आयात 200 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गया है, जबकि जोधपुर और नागौर में उच्च गुणवत्ता वाले केमिकल ग्रेड के लाइम स्टोन का अगले 100 सालों का रिजर्व है। लेकिन माइनर से ​मेजर श्रेणी में आए इस क्षेत्र के मिनरल की ज्यादातर खपत राज्य के सीमेंट प्लांटों में हो रही है, जहां 50 से 60 प्रतिशत तक की प्योरिटी वाले लाइम स्टोन से काम चल सकता है।
दरसअल जोधपुर और नागौर की खदानों में जो लाइम स्टोन निकलता है, वह प्रमुख उद्योग जैसे शक्कर, पेपर, मेटल इण्डस्ट्रीज, स्टील, रसायन, वाटर प्यूरिफिकेशन आदि के लिए उपयुक्त है। दरसअल पहले लाइम स्टोन की खदानें माइनर खनिज के रूप में में आवंटित की जाती थी, लेकिन सरकार 2014 में एक आदेश निकालकर लाइम स्टोन को मेजर मिनरल में आरक्षित कर दिया है। इससे ज्यादातर कैमिकल ग्रेड वाला लाइम स्टोन आक्शन प्रक्रिया से सीमेंट कंपनियों के पास चला जाता है। इस कारण कैमिकल ग्रेड लाइम स्टोन की उपलब्धता अत्यधिक प्रभावित हुई। लाइम स्टोन उपयोग करने वाली औद्योगिक इकाइयों को अब आयात करना पड़ रहा है, जिसमें देश की विदेशी मुद्रा तो जा ही रही है उसके साथ-साथ यहां पर मिलने वाले रोजगार के अवसर भी कम होते जा रहे हैं। इससे करीब मारवाड़ की 1000 से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां संकट में हैं।
खनन सचिव से मिले प्रतिनिधि

लाइम मैन्युफैक्चर्स एसो. के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को इस मामले को लेकर खनन सचिव टी. रविकांत से मुलाकत की और बढ़ते आयात को लेकर एक रिप्रेजेंटेशन दिया। महासचिव महेंद्र पित्ती ने बताया कि पहले देश में लाइम उद्योग तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आयातित चूना के कारण देसी उत्पादन लगातार गिर रहा है। एमएसएमई इस प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे। इकाइयां बंद हो रही हैं। विश्वकमाऑल इंडिया लाइम मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन को सरकार के इस मानसून सत्र में इस समस्या से निजात की आस है। दरअसल इस सत्र में 16 बिल पेश होने है, जिनमें एक बिल खनिज का है, जिसमें लाइन स्टोन माइनिंग को लेकर सकारात्मक फैसला आ सकता है। इसमें संबंधित क्षेत्र में प्रति व्यक्ति (किसान) को चार हेक्टेयर तक माइनिंग करने और कच्चे माल को स्थानीय यूनिट्स को बेचने पर सहमति बन सकती है। हालांकि इसमें २५ प्रतिशत अतिरिक्त रॉयल्टी का भी प्रावधान हो सकता है।
आयात पर रोक नहीं लगी, तो आने वाले वर्षों में राज्य का लाइम स्टोन उद्योग पूरी तरह समाप्त हो सकता है। सीमेन्ट 60% के लाइम स्टोन से बन जाती है, जबकि नागौर व जोधपुर का लाइम स्टोन 95त्न प्रतिशत वाला है। – मेघराज लोहिया, अध्यक्ष, ऑल इंडिया लाइम मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन

Hindi News / News Bulletin / सीमेंट इकाइयों में बेवजह खप रहा उच्च गुणवत्ता वाला लाइम स्टोन

ट्रेंडिंग वीडियो