मार्च में होना था पूर्ण
- किसी समय में पूरे शहर की प्यास बुझाने वाले इस कलात्मक सरोवर की तस्वीर पूरी तरह से बदलने वाले कार्यों की शुरुआत देरी से हुई।
- इसका औपचारिक श्रीगणेश वर्ष 2024 के फरवरी के पहले सप्ताह में किया गया था तब कहा गया था कि मार्च 2025 तक काम पूरा हो जाएगा लेकिन डिजाइन और ड्राइंग मिलने में देरी का हवाला देते हुए जिम्मेदार अब इसके लिए दिसम्बर 2025 तक पूरा होने की बात कह रहे हैं।
- सबसे पहले गड़ीसर के विस्तारीकरण के लिए खुदवाई गई पाल के प्रवेश द्वार वाले हिस्से में रिटेनिंग दीवार की खुदाई और उसके निर्माण का काम करवाया गया। बाद ेमें बारी-बारी से अन्य कार्य करवाए जा रहे हैं।
- इसके तहत गड़ीसर की ऊपरी पाल का सौन्दर्यीकरण और ढलानदार पथ निर्माण करवाया जा रहा है।
- विस्तृत पाल पर पक्का पत्थर का मार्ग व भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण होगा।
- यहां पर पार्किंग की सुविधाओं के साथ शौचालय, कचरा पात्र और विश्राम स्थलों जैसी नागरिक सुविधाओं का विकास भी किया जाना है।
- पैदल भ्रमण का लुत्फ उठाने के लिए पथ का निर्माण और यहां पर सैलानियों के लिए ऊंट सवारी के लिए मड ट्रेक का निर्माण भी करवाया जाना है।
- रात्रि प्रकाश के लिए हेरिटेज लुक प्रदान करने वाली लाइट व्यवस्था, साउंड सिस्टम, कई तरह की प्रतिमाओं और फव्वारों से सुंदरता में बढ़ोतरी करवाई जानी है।
पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र गड़ीसर
कलात्मक गड़ीसर को निहारने के लिए लाखों देशी-विदेशी वर्ष पर्यंत पहुंचते हंै। सरोवर का मुख्य आकर्षण पानी के मध्य में बनी पीत पाषाणों से निर्मित बीच बंगली व कलापूर्ण छतरियां हैं। हालांकि देखभाल के अभाव में यह सांस्कृतिक धरोहर अपना आकर्षण खो रही है। सैलानियों के लिए शाम के समय में लाइट एंड साउंड सिस्टम विकसित हो चुका है। दिन और सायं यहां नौकायन करने भी बहुत से लोग उमड़ते हैं। वैसे गड़ीसर का जैसलमेर के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में भी सदियों से बहुत गहरा संबंध है
फैक्ट फाइल –
- 22 करोड़ रुपए होंगे पहले चरण में खर्च
- 66 करोड़ रुपए के कुल कार्य करवाए जाएंगे
- 17 महीनों में कार्य करवाना था पूरा
- 14वीं शताब्दी में बनवाया गया गड़ीसर