बैठक का उद्देश्य ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में राजनीतिक दलों को जानकारी देना था, जिसके तहत बुधवार तड़के भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले का जवाब थी, जिसमें 25 भारतीय मारे गए थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में सभी दलों को ऑपरेशन की जानकारी दी। गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, मल्लिकार्जुन खड़गे, और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित कई नेता मौजूद थे।
राहुल की समर्थन की बात
राहुल गांधी ने कहा, “हमने सरकार को अपना पूरा समर्थन दिया है। जैसा कि मल्लिकार्जुन खरगे जी ने कहा, कि उन्होंने (सरकार ने) कहा कि कुछ चीजें ऐसी हैं जिन पर हम चर्चा नहीं करना चाहते…सबने सपोर्ट किया है… ” वहीं, खड़गे ने मीडिया से कहा, “सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में ऑपरेशन की जानकारी गोपनीय है। फिर भी, सभी दलों ने कहा कि इस संकट की घड़ी में हम सरकार के साथ हैं और राष्ट्रीय हित में उनका समर्थन करेंगे।” हालांकि, खड़गे ने पीएम मोदी की अनुपस्थिति पर तंज कसते हुए कहा, “पिछली बार भी वह नहीं थे, इस बार भी नहीं। ऐसा लगता है कि वह खुद को संसद से ऊपर मानते हैं। अभी संकट का समय है, इसलिए हम आलोचना नहीं करेंगे।”
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बैठक के बाद प्रेस को बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी दलों को ऑपरेशन की जानकारी दी और सभी नेताओं ने परिपक्वता दिखाते हुए एकजुटता जताई। उन्होंने कहा, “सभी ने भारतीय सशस्त्र बलों को ऑपरेशन सिंदूर के लिए बधाई दी और सरकार को समर्थन देने का वादा किया। कुछ सुझाव भी मिले।” रिजिजू ने फर्जी खबरों पर भरोसा न करने की अपील की, खासकर जब पाकिस्तान की ओर से भ्रामक प्रचार किया जा रहा है।
कश्मीरियों को गले लगाने का “स्वर्णिम अवसर
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बैठक के बाद कहा कि सरकार के पास कश्मीर में पाकिस्तान का सामना करने और कश्मीरियों को गले लगाने का “स्वर्णिम अवसर” है। उन्होंने पुंछ हमले के पीड़ितों को “आतंकी हमले” का दर्जा देने और उन्हें मुआवजा व आवास देने की मांग की। ओवैसी ने कहा, “बाहवालपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकानों को नष्ट करना बड़ी उपलब्धि है। लेकिन कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने बठिंडा में राफेल गिरने की खबर दी, जिसे भारतीय वायुसेना को खारिज करना चाहिए ताकि सेना का मनोबल न टूटे।” ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने जहां भारत की आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कार्रवाई को दर्शाया, वहीं सर्वदलीय बैठक ने संकट के समय राजनीतिक एकता की ताकत को उजागर किया। हालांकि, सरकार की गोपनीयता और पीएम की अनुपस्थिति पर विपक्ष के सवालों ने इस एकता के बीच कुछ असहज मुद्दों को भी सामने ला दिया।