तीतर वासा गांव निवासी किसान राम प्रकाश कुशवाहा ने बताया पहले ग्रामीण यहां पर परंपरागत खेती गेहूं चना सरसों सब्जी की फसल करते थे, जिनमें आमदनी कम होती थी व नुकसान ज्यादा होता था। 23 साल पहले हमारे मामा प्रभु लाल कुशवाहा के द्वारा गुलाब की खेती करने के बारे में बताया, तब से ही गांव में गुलाब की खेती करने की शुरुआत हुई। देखते ही देखते पूरे गांव के किसान गुलाब की खेती में जुड़ गए। गुलाब की खेती में शुरुआत में एक बीघा में 20 हजार से 30 हजार रुपए प्रति बीघा का खर्च एक बार आता है। उसके बाद पौधे की अच्छी तरह से देखभाल की जाए तो यह पौधे 20 साल तक पैदावार देते है। शुरुआत में जब गुलाब का पौधा लगाया जाता है उसके 6 से 8 महीने के बाद उसमें फूल आना शुरू हो जाते हैं और वहां से ही किसान की आय शुरू हो जाती है।
एक बीघा में रोज के 30 से 40 किलो गुलाब के फूल सालभर आते हैं। सब कुछ निकालने के बाद 80 से 1 लाख रुपए की आमदनी साल भर में हो जाती है। जिनके पास ज्यादा जमीन है वह प्रतिवर्ष 5 लाख से अधिक रुपए के फूल बेच देते हैं, जिनको तोड़ने के लिए चार व्यक्ति आवश्यक होते हैं पूरा परिवार कार्य करें तभी यह कार्य मुनाफे का होता है। फूलों को तोड़ने के बाद मोटरसाइकिल से 6 बजे से 8 बजे के बीच कोटा मंडी में पहुंचना होता है तब जाकर गुलाब के फूल के अच्छे दाम मिलते हैं। वर्तमान समय में गुलाब 20 से 30 रुपए किलो बिक रहा है सीजन के समय गुलाब डेढ़ सौ से साढ़े तीनों रुपए किलो तक बिक जाता है। जब उत्पादन ज्यादा होता है तो गुलाब की रेट कम हो जाती है। उत्पादन कम होने पर गुलाब की रेट बढ़ जाती है गुलाब की एक बीघा में खेती करने पर भी रोजाना किसान को 500 से 1000 रुपए आमदनी रोज हो जाती है और अपने परिवार का खर्चा चल जाता है।
बक्सपुरा गांव निवासी किसान राजमल कुशवाहा ने बताया कि गुलाब की खेती करना काफी कठिन व परिश्रम का कार्य है। शुरू में खेती करना तो आसान है, लेकिन लगातार देखभाल भी जरूरी है, लेकिन इसमें मेहनत जाता है। गुलाब की खेती उस स्थान पर करना चाहिए जहां पर पानी का भराव नहीं हो और पानी का निकास की व्यवस्था हो। गर्मी के समय लू से बचाव के लिए 2 दिन छोड़कर पानी की आवश्यकता पड़ती है। सर्दी के समय 8 से 10 दिन के अंतराल में पानी की आवश्यकता होती है। अच्छे गुलाब के लिए सुबह किसानों को सुबह दो से तीन बजे उठकर फूल तोड़ने के लिए खेत पर जाना पड़ता है। जहां पर जहरीले कीड़े काटने का हमेशा डर बना रहता है।