ऑफिस के बाद घंटों ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन्स
वांग को रोज ऑफिस खत्म होने के बाद घंटों तक ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन्स में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता था। ये ट्रेनिंग डिंगटॉक और वीचैट जैसे ऐप्स पर होती थीं, जिनमें शामिल न होने पर कर्मचारियों से “स्वैच्छिक डोनेशन” के नाम पर 200 युआन (करीब 2,400 रुपये) लिए जाते थे।
परेशान कर्मचारी पहुंच गया कोर्ट
थकान, तनाव और परिवार से कटाव जैसे हालातों से परेशान होकर वांग ने पहले मध्यस्थ संस्था का रुख किया, लेकिन जब वहां से राहत नहीं मिली, तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बीजिंग नंबर 2 इंटरमीडिएट पीपल्स कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वांग के पक्ष में फैसला सुनाया।
कंपनी की सफाई पर कोर्ट का दो-टूक जवाब
कंपनी का दावा था कि कर्मचारियों को बस लॉगइन करना होता था, किसी से बातचीत या ध्यान देने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि ओवरटाइम का भुगतान केवल तभी संभव है जब उसे मैनेजमेंट की पूर्व मंजूरी मिली हो। कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि जब किसी कर्मचारी को तय काम के बाद भी ऑनलाइन ट्रेनिंग के लिए बाध्य किया जाए, तो यह ओवरटाइम ही माना जाएगा।
वांग को मिला न्याय, 2.25 लाख का मुआवजा तय
वांग ने करीब 80,000 युआन (लगभग 9.5 लाख रुपये) की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने पाया कि सभी ट्रेनिंग सेशन्स में वह समय पर नहीं जुड़ा था। इसके आधार पर कोर्ट ने उन्हें 19,000 युआन (करीब 2.25 लाख रुपये) मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया।
वर्कप्लेस शोषण के खिलाफ बड़ा संदेश
कोर्ट ने फैसले में कहा कि मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन मीटिंग्स के नाम पर कर्मचारियों से ‘छुपा हुआ ओवरटाइम’ करवाना एक तरह का शोषण है। कर्मचारियों का निजी समय भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उनका ऑफिस टाइम। यह फैसला चीन के लाखों कर्मचारियों के लिए राहत और उम्मीद की किरण लेकर आया है।