रैस्क्यू 1122 सिंध के ऑपरेशन इंचार्ज के अनुसार:
रैस्क्यू कार्य का 70% हिस्सा पूरा हो चुका है। भारी मशीनरी का उपयोग कर मलबा हटाया जा रहा है। स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
कार्य पूर्ण होने में कई घंटे और लग सकते हैं
रैस्क्यू अधिकारियों का कहना है कि कार्य पूर्ण होने में कई घंटे और लग सकते हैं, क्योंकि अब भी कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। अब तक 15 शव निकाले जा चुके हैं और 7 लोग घायल हैं। मोबाइल सिग्नल बंद होने के कारण रेस्क्यू कार्य में कठिनाइयाँ आ रही हैं। मकान की हालत पहले से खराब थी
इमारत के साथ जुड़ी दो और इमारतों को खाली कराया (Karachi rescue operation)
अधिकारियों ने बताया कि इमारत में 6 परिवार रह रहे थे। हर फ्लोर पर 3 पोर्शन बने हुए थे। यह इमारत 3 साल पहले ही जर्जर घोषित कर दी गई थी, लेकिन ना तो रहवासियों ने इमारत छोड़ी और ना ही प्रशासन ने कोई कड़ा कदम उठाया। इमारत के साथ जुड़ी दो और इमारतों (7 और 2 मंज़िला) को खाली कराया गया है, ताकि आगे और कोई दुर्घटना न हो।
हादसे के बाद प्रशासन की प्रतिक्रिया
कमिश्नर कराची सैयद हसन नक़वी ने कहा: “रैस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने में 24 घंटे लग सकते हैं। जर्जर इमारतों के निवासी खुद सुरक्षित जगह चले जाएं, हम उन्हें ज़बरदस्ती नहीं निकाल सकते। अवैध निर्माण पर एसबीसीए (Sindh Building Control Authority) के साथ बैठक होगी।”
मृतकों की पहचान और अस्पताल की जानकारी
सिविल अस्पताल में जिन शवों को लाया गया, उनमें शामिल हैं: 55 वर्षीय हूर बीबी,35 वर्षीय वसीम,21 वर्षीय प्रांतिक पुत्र हारसी,28 वर्षीय प्रेम (पिता अज्ञात), फातिमा पत्नी बाबू, जिनका अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। इसके अलावा, 25 वर्षीया महिला, 30 वर्षीय पुरुष और 7 वर्षीय बच्चे के शवों की पहचान नहीं हो सकी है।
107 में से 21 इमारतें बेहद ख़तरनाक पाई गई (Dangerous buildings Karachi)
डिप्टी कमिश्नर साउथ कराची जावेद खोसो ने बताया “प्रभावित इमारत के रहवासियों को 2022, 2023 और 2024 में नोटिस दिए गए थे। 107 में से 21 इमारतें बेहद ख़तरनाक पाई गई हैं, जिनमें से 14 को खाली कराया जा चुका है। इस घटना के लिए किसी एक को तुरंत जिम्मेदार ठहराना जल्दबाजी होगी।”
प्रशासनिक लापरवाही की भी जीती-जागती मिसाल
बहरहाल लियारी की यह घटना न सिर्फ एक निर्माण त्रुटि का परिणाम है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की भी जीती-जागती मिसाल है। तीन वर्षों से इमारत को “खतरनाक” घोषित किया गया था, बावजूद इसके न तो कोई कार्यवाही हुई, न लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया। 17 ज़िंदगियों का यूँ मलबे में दब जाना बताता है कि हमारी शहरी योजनाओं और इमरजेंसी रिस्पॉन्स में कितनी खामियाँ हैं।