कब हुआ था पार्टी का गठन
1997 में लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे। इसके साथ ही वे जनता दल के अध्यक्ष थे। CBI ने अपनी जांच के बाद लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाला में चार्जशीट तैयार कर ली। इस बात के सामने आने पर पार्टी ने लालू प्रसाद को अध्यक्ष और सीएम की कुर्सी दोनों छोड़ने के लिए दबाव बनाने लगी। राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी लालू प्रसाद ने मौके की नजाकत को समझा और आनन-फानन में अपने विश्वासपात्रों की बैठक बुलाई।17 लोकसभा सदस्यों का मिला था समर्थन
इस बैठक में लालू प्रसाद का समर्थन करने वाले 17 लोकसभा सदस्य और 8 राज्यसभा सदस्य शामिल हुए। लालू प्रसाद ने अपने विश्वासपात्रों के साथ बात करने के बाद जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी नई पार्टी आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) का गठन किया। लालू प्रसाद आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। इसके बाद से अभी तक पार्टी की कमान लालू प्रसाद के पास ही है।आरजेडी का विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन
साल | दावेदारी | जीत |
2000 | 293 | 124 |
फरवरी 2005 | 215 | 75 |
अक्तूबर 2005 | 175 | 54 |
2010 | 168 | 22 |
2015 | 101 | 80 |
2020 | 144 | 77 |
राबड़ी देवी को बनाया सीएम
चारा घोटाला में आरोपी बनने पर लालू प्रसाद जनता दल से अलग अपनी नई पार्टी का गठन किया। लालू प्रसाद अपनी नई पार्टी के राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बने। लालू प्रसाद के पास अब सत्ता और अध्यक्ष की कुर्सी बचाने की चुनौती थी। क्योंकि सीबीआई ने लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले मामले में चार्जसीट तैयार कर ली थी। सीबीआई किसी भी वक्त लालू प्रसाद को गिरफ्तार कर सकती थी। लालू प्रसाद ने इसको देखते हुए एक नई राजनीतिक चाल चलते हुए 24 जुलाई, 1997 को अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया। लालू प्रसाद ने इसके साथ ही अपनी सत्ता भी बचा ली।