लेकिन गृहस्थ जीवन यापन कर रहे एक राजकुमार के आध्यात्मिक गुरु और बौद्ध धर्म का संस्थापक बनने के पीछे कुछ घटनाएं थीं, जिन्हें देखकर सिद्धार्थ का गृहस्थ जीवन से मोहभंग हो गया और वो सांसारिक सुखों को त्यागकर जरा, मरण के दुखों से मुक्ति दिलाने और सत्य दिव्य ज्ञान की खोज के लिए वन की ओर निकल गए। आइये जानते हैं वो 4 घटनाएं कौन थीं, जिन्होंने भगवान गौतम बुद्ध का कायापलट कर दिया।
गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाएं (Important Events Of Buddha’s Life)
वृद्धावस्था का दुख
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बालक के जन्म के बाद साधु द्रष्टा आसित ने अपने पहाड़ के निवास से घोषणा की थी राजा शुद्धोधन के यहां जन्म लेने वाला बच्चा या तो एक महान राजा बनेगा या एक महान पथ प्रदर्शक बनेगा। इधर, पांचवें दिन बालक के नामकरण के लिए राजा शुद्धोधन ने आठ ब्राह्मण विद्वानों को भविष्य पढ़ने के लिए बुलाया। सभी ने दोहराया कि बच्चा या तो एक महान राजा बनेगा या महान पवित्र आदमी और नाम रखा गया सिद्धार्थ यानी सभी सिद्धियों को प्राप्त करने वाला।इधर, बड़े हो रहे सिद्धार्थ का हृदय करुणा और दया से भरता जा रहा था। वो किसी को दुखी नहीं देख सकते थे, खेल में भी प्रतिस्पर्धी की खुशी के लिए जानबूझकर हार जाते थे। वो घुड़दौड़ में दौड़ते घोड़ों का भी दुख नहीं देख पाते और जब उनके मुंह से झाग निकलता तो सिद्धार्थ उन्हें थका जानकर रोक देते और जीती हुई बाजी हार जाते। उनका ध्यान इन बातों से हटाने, सभी दुखों से दूर रखने और घर गृहस्थी में बांधने के लिए राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ के लिए भोग-विलास का भरपूर प्रबंध किया।
तीन ऋतुओं के लिए तीन सुंदर महल बनवाए, नाच-गान और मनोरंजन की उसमें व्यवस्था की। लेकिन 4 घटनाओं ने उनका कायापलट कर दिया। पहला घटना तब घटी जब वसंत ऋतु में एक दिन बगीचे की सैर पर निकले गौतम बुद्ध को सड़क पर बूढ़ा आदमी दिखा, उसके दांत टूटे थे, बाल पक गए थे, शरीर टेढ़ा हो गया था। हाथ में लाठी पकड़े हुए वह कांपता हुआ चल रहा था। इस घटना ने उनके मन पर बड़ा असर डाला।