Bihar Cunav 2025 में बीजेपी जीतनराम मांझी और चिराग पासवान को ज्यादा तवज्जो दे सकती है। Patrika
बिहार में चुनावी बिगुल बजने वाला है और अब असली लड़ाई गठबंधन की अंदरूनी राजनीति में है। जहां NDA अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ रहा है, वहीं महागठबंधन को एकजुट रखना और सभी को संतुष्ट करना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पक्ष किस तरह से इन उलझनों से बाहर निकलते हैं। इस बीच, केंद्रीय मंत्री और लोजपा-आर के मुखिया चिराग पासवान का वह तिकड़म काम कर सकता है, जिसमें उन्होंने सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर बीजेपी-जदयू को सकते में डाल दिया। अंदरखाने खबर आ रही है कि Bihar Chunav 2025 के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग तय हो गई है।
सूत्रों की मानें तो बीजेपी इस बार 101 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि नीतीश कुमार की जदयू को 102 सीटें मिल सकती हैं यानी बीजेपी से एक सीट ज्यादा। गठबंधन के बाकी छोटे दलों को इस बार ज्यादा तवज्जो मिलने की संभावना है। बार-बार अलग चुनाव लड़ने की धमकी दे रहे चिराग पासवान का तिकड़म रंग ला सकता है और बीजेपी उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 18 से 22 सीटें दे सकती है। जबकि जीतन राम मांझी की हम पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को 7-9 सीटें मिल सकती हैं।
नवंबर में होंगे चुनाव
बता दें कि बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए नवंबर 2025 में चुनाव होंगे। मुख्य मुकाबला सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी महागठबंधन (INDIA Bloc) के बीच होने की संभावना है। हालांकि इस बार चर्चा का केंद्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका है।
नीतीश कुमार को सेंटर में बुला सकती है बीजेपी
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद खबरें हैं कि नीतीश को राष्ट्रीय राजनीति में कोई बड़ी भूमिका दी जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी को बिहार में मुख्यमंत्री पद मिलने का रास्ता साफ होगा। राजनीतिक विश्लेषक ओपी अश्क बताते हैं कि बीजेपी को सीएम पद मिलने से राज्य की नीतियों पर और अधिक नियंत्रण करने का मौका मिलेगा। हालांकि जदयू ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
महागठबंधन में सबको साथ रखना चुनौती
दूसरी ओर तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने आरजेडी से 12 सीटों की मांग की है। वहीं कांग्रेस इस बार करीब 90 सीटें मांग सकती है। इसके अलावा वीआईपी और वामपंथी दलों ने भी इस बार अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की है। पिछले चुनाव में कुछ सीटें जीतने वाली असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर रही है। अगर AIMIM की एंट्री होती है तो सीटों का समीकरण और जटिल हो जाएगा।
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