सम्पादकीय : भीड़ प्रबंधन में लापरवाही से बढ़ीं भगदड़ की घटनाएं
मंदिर की ओर चढ़ाई कर रहे श्रद्धालुओं के बीच अचानक ऐसी भगदड़ मच गई कि अफरा-तफरी का माहौल बन गया और नतीजा बेकसूर श्रद्धालुओं की मौत अथवा घायल होने के रूप में सामने आया।


हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर मार्ग पर मची भगदड़ ने फिर तंत्र की लापरवाही को उजागर कर दिया है। अनियंत्रित भीड़ कहीं भी होती हो तो ऐसे हादसे होने की आशंका सदैव बनी रहती है। मनसा देवी मंदिर मार्ग पर भी ऐसा ही हुआ। मंदिर की ओर चढ़ाई कर रहे श्रद्धालुओं के बीच अचानक ऐसी भगदड़ मच गई कि अफरा-तफरी का माहौल बन गया और नतीजा बेकसूर श्रद्धालुओं की मौत अथवा घायल होने के रूप में सामने आया। कहा तो यह जा रहा है कि करंट की अफवाह की वजह से यह भगदड़ हुई। हालांकि प्रशासन से जुड़े लोगों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। जांच होगी तो कारण भी सामने आ जाएगा लेकिन इतना साफ है कि हादसे-दर-हादसे होने के बावजूद भीड़ प्रबंधन की चिंता कोई करता ही नहीं।
पिछले कुछ सालों में देश के अलग-अलग हिस्सों में भगदड़ की कई घटनाओं में सैंकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं। इनमें धार्मिक स्थलों पर मचने वाली भगदड़ के मामले ’यादा हैं। वैसे तो आराधना स्थल हो या फिर खेल का मैदान, रेल्वे स्टेशन हो या फिर कोई धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन सब जगह जब भी भीड़ बेकाबू होने लगती है इस तरह के हादसे सामने आ ही जाते हैं। कारण अधिकांश का एक ही होता है भीड़ नियंत्रण के प्रबंधन में लापरवाही। इस लापरवाही से होने वाली त्रासदियों का कारण कभी नहीं बदलता। बदलते हैं तो सिर्फ मरने वालों और घायलों के आंकड़े। गढ़वाल के मंडल आयुक्त खुद इसे स्वीकार कर चुके हैं कि मनसा देवी मंदिर मार्ग पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की संख्या काफी हो गई थी। जाहिर है कि बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के ठोस प्रबंध गायब थे। क्षमता से ’यादा भीड़ जमा होने पर पहली प्राथमिकता लोगों को रोकने की रहनी चाहिए। यहां यह सतर्कता जिम्मेदारों ने बरती होती तो शायद भगदड़ की नौबत नहीं आती। करंट की अफवाह न भी हो तो भी भीड़ के बीच किसी दूसरी तरह की अफवाह तो फैली ही होगी जिसकी वजह से भीड़ एकाएक बेकाबू हो गई। सच यह भी है कि हर ऐसी जगह पर आपदा प्रबंधन बड़ी चुनौती का विषय होता है जहां भीड़ जमा होती है। इन दिनों आराधना स्थलों व पर्यटक स्थलों पर लोगों की आवाजाही ’यादा बढऩे लगी है। ऐसे स्थानों पर सुरक्षाकर्मियों की कमी, मार्ग पर आवागमन को लेकर समुचित दिशा-निर्देशों का अभाव व किसी भी आपात स्थिति से निपटने का बंदोबस्त नहीं हो तो मनसा मंदिर जैसे हादसे होते देर नहीं लगती।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ोंके मुताबिक पिछले पच्चीस वर्षों के दौरान हमारे देश में भगदड़ की घटनाओं में तीन हजार से ’यादा लोग जान गंवा चुके हैं और हजारों घायल भी हुए हैं। भगदड़ रोकने की रणनीतियों का जिम्मेदारी से पालन किया जाना ’यादा जरूरी है। अपनी सुरक्षा की चिंता भीड़ का हिस्सा बनने वालों को भी करनी है।
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