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स्वदेशी विचार और सशक्त युवा ही समृद्ध भारत का आधार

यश व्यास

जयपुरAug 11, 2025 / 06:32 pm

Neeru Yadav

भारत में युवा शक्ति की धारा बह रही है और इस धारा को सही दिशा में मोडऩे की आवश्यकता है। हमें अपने देश की वर्तमान परिस्थितियों पर विचार कर भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण तैयार करना चाहिए। हमारे देश में बुनियादी दृष्टि से शिक्षा एवं स्वास्थ्य को सेवा का अवसर माना जाता था आज वे लगभग व्यवसाय का क्षेत्र बन चुके हैं। भारत में बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। महात्मा गांधी ने कहा था कि इस प्रकृति में आवश्यकता के लिए सब कुछ है पर लालच के लिए कुछ भी नहीं…। विश्वगुरु की सतत राह एवं लक्ष्य में जागरूक युवाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है। इस पृथ्वी पर नोबेल पुरस्कार, ओलंपिक खेल, तकनीक, एआइ, ज्ञान, साहित्य, अनुसंधान, नेतृत्व, नवाचार, नीति, कौशल एवं खुद को खोजने की दुनिया भी है, जिसकी ओर हमें अग्रसर होना चाहिए।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। इसका उद्देश्य देश में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना है, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हों। भारत को विकसित बनाने के लिए हमें अपनी शिक्षा प्रणाली, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक नीतियों के साथ कानून व्यवस्था में विशेष सुधार करना होगा। हमें भ्रष्टाचार को रोकने के लिए न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ानी होगी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना होगा। विदेश नीति के लिए आर्थिक सहयोग, विश्व शांति, समन्वय एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
हमें युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। हम अपने युवाओं की शक्ति को पहचानें। भारत विकसित देश तब बनेगा जब हम 140 करोड़ देशवासी शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, नैतिक, बौद्धिक, राजनीतिक एवं तकनीकी रूप से समर्थ, सशक्त एवं जागरूक नागरिक बनेंगे, जो अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी समझेंगे।
जब भारत शिक्षा से सशक्तीकरण की ओर बढ़ेगा, आत्मनिर्भर बनेगा, नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करेगा, अपराध व भ्रष्टाचार से मुक्त होगा, आर्थिक नीति एवं स्वदेशी विचारों को अपनाएगा, तकनीक रूप से समृद्ध होने की दिशा में आगे बढ़ेगा तभी बनेगा परम वैभव भारत।

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