एनसीआर से सटे जिलों में रेट बढ़ाने की तैयारी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारियों ने बताया कि हरियाणा के गुरुग्राम, पंचकूला और फरीदाबाद जैसे जिलों में कलेक्टर रेट अभी भी बाजार दरों से काफी कम हैं। सरकार का उद्देश्य इन दरों को बाजार मूल्य के करीब लाकर काले धन के जरिए हो रही प्रॉपर्टी डील्स को रोकना है। हालांकि, खरीदारों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। इसलिए सरकार ने स्लैब सिस्टम अपनाया है। इसके तहत दरों को एकसाथ नहीं बढ़ाया जाएगा, बल्कि 10%, 20%, 30%, 40% और 50% के अलग-अलग स्लैब में बढ़ोतरी होगी। इससे खरीदारों को कुछ राहत मिलेगी।
गुरुग्राम में कितना बढ़ाया जाएगा जमीनों का रेट
उदाहरण के तौर पर गुरुग्राम के सेक्टर 42 में, जहां डीएलएफ कैमेलियास और गोल्फ क्लब जैसी लग्जरी सोसाइटीज स्थित हैं। वहां आवासीय संपत्तियों की नई प्रस्तावित दर 79,970 रुपये प्रति वर्ग गज होगी। जो पहले 72,700 रुपये थी। यानी करीब 10% की यहां बढ़ोतरी की जाएगी। ऐसे ही व्यावसायिक और खुदरा (रिटेल) क्षेत्र के लिए नई दर 15,500 रुपये प्रति वर्ग फुट होगी। जो पहले 14,400 रुपये थी। जबकि ऑफिस और आईटी स्पेस के लिए दरों को 10,080 रुपये से बढ़ाकर 11,000 रुपये प्रति वर्ग फुट किया जा रहा है।
शहर में 5 से 40 प्रतिशत तक महंगी होंगी जमीनें
शहर के अन्य क्षेत्रों में भी दरें 5% से 40% तक बढ़ सकती हैं। खासतौर पर नए विकसित हो रहे इलाकों में यह वृद्धि और अधिक हो सकती है। जैसे, राजीव नगर (सेक्टर 13) में आवासीय दर 25,300 रुपये से बढ़ाकर 35,000 रुपये प्रति वर्ग फुट करने का प्रस्ताव है। ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं चार गुना कृषि दर पर आंकी जाएंगी। जबकि व्यावसायिक CLU रेट पांच गुना तक होंगे। पार्क फेसिंग या दो तरफ खुले प्लॉट्स पर अतिरिक्त शुल्क लगेगा।
आठ महीने में दूसरी बार कलेक्टर रेट बढ़ाने की तैयारी
हरियाणा में बीते आठ महीनों के अंदर ये दूसरी बार है, जब कलेक्टर रेट बढ़ाने की तैयारी हो गई है। इससे पहले एक दिसंबर 2024 को हरियाणा में कलेक्टर रेट संशोधित किया गया था। अमूमन कलेक्टर दरों को हर साल एक अप्रैल से संशोधित किया जाता है, लेकिन लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव के चलते इनमें इस बार देरी हुई थी। इसलिए दिसंबर में नया कलेक्टर रेट लागू किया गया।
रियल एस्टेट कारोबारियों में हड़कंप
अब दूसरी बार इन बदलावों का असर सीधे रजिस्ट्रेशन शुल्क और स्टांप ड्यूटी पर भी पड़ेगा, क्योंकि ये दोनों ही कलेक्टर रेट पर आधारित होते हैं। ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर जनता की राय के लिए समय दिया गया है और अंतिम फैसला बृहस्पतिवार को लिया जा सकता है। हरियाणा सरकार के इस फैसले से प्रॉपर्टी डीलरों में आशंका है कि इससे रियल एस्टेट का बिजनेस ठप हो सकता है। इससे रियल एस्टेट कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
अब जानिए कलेक्टर रेट क्या होता है?
कलेक्टर रेट वह न्यूनतम दर (मूल्य) होती है, जो जिला प्रशासन (कलेक्टर कार्यालय) द्वारा किसी भू-सम्पत्ति, ज़मीन या भवन का सरकारी लेन-देन या स्टांप ड्यूटी निर्धारण हेतु तय की जाती है। यह दर जिले के अलग-अलग क्षेत्रों, कॉलोनियों और जमीन की प्रकृति (व्यावसायिक, कृषि, आवासीय) के अनुसार भिन्न होती है। कलेक्टर रेट का उपयोग आमतौर पर संपत्ति की रजिस्ट्री, विक्रय-पत्र, गिफ्ट डीड आदि के लिए स्टांप शुल्क तय करने में किया जाता है, जिससे सरकार को राजस्व प्राप्त होता है। यह दर राज्य सरकार समय-समय पर पुनः निर्धारित करती है।