भाजपा की पकड़, लेकिन हर चुनाव में चुनौती
नरकटियागंज में 2010 से अब तक भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की मजबूत उपस्थिति रही है। बावजूद इसके, यहां हर बार मुकाबला रोचक रहा है। 2014 के उपचुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। 2020 में एक बार फिर भाजपा की जीत हुई, लेकिन इसका श्रेय केवल संगठन या लहर को नहीं, बल्कि स्थानीय सामाजिक समीकरण और रणनीतिक मतदान को भी जाता है।
मतदाता प्रोफाइल और जनसंख्या संरचना
इस क्षेत्र की कुल आबादी 4,61,720 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 2,44,379 और महिलाओं की संख्या 2,17,341 है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, यहां कुल 2,79,043 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 1,48,348 पुरुष, 1,30,682 महिलाएं और 13 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। लगभग 30% मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद भाजपा की सफलता यह संकेत देती है कि यहां धार्मिक नहीं, बल्कि जातीय और रणनीतिक आधार पर मतदान होता है।
जातीय समीकरणों की अहम भूमिका
नरकटियागंज की राजनीतिक गणित को समझना हो तो यहां के जातीय ताने-बाने को समझना जरूरी है। राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, कुर्मी और यादव मतदाताओं की यहां बड़ी उपस्थिति है। कोई एक जाति निर्णायक स्थिति में नहीं है, जिससे हर चुनाव में गठबंधन की ताकत, प्रत्याशी की जातीय पहचान और सामाजिक स्वीकार्यता निर्णायक साबित होती है।
ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्त्व
यह क्षेत्र केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी खास है। नरकटियागंज प्रखंड के चानकीगढ़ में नंद वंश और आचार्य चाणक्य द्वारा बनवाए गए महलों के अवशेष आज भी मौजूद हैं। यह विरासत इस इलाके की पहचान को गहराई देती है।
सीमा से सटा क्षेत्र, परिवहन और कृषि केंद्र
भारत-नेपाल सीमा से सटे इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति भी रणनीतिक है। बरौनी-गोरखपुर रेलखंड पर स्थित नरकटियागंज जंक्शन एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा, सड़क मार्ग से भी यह क्षेत्र बिहार और उत्तर प्रदेश से जुड़ा हुआ है। कृषि प्रधान इस इलाके में आम, धान और गन्ना की खेती प्रमुख है। अधिकांश ग्रामीण आबादी खेती पर निर्भर है, जिससे ग्रामीण मुद्दे चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं।
मनोज बाजपेयी से लेकर सतीश दुबे तक का संबंध
यह क्षेत्र अभिनेता मनोज बाजपेयी का पैतृक निवास होने के कारण भी सुर्खियों में रहता है। वहीं, भाजपा नेता और पूर्व विधायक सतीश चंद्र दुबे जैसे नेता भी यहीं से राजनीति में सक्रिय रहे हैं।