विदेश मंत्रालय के अनुसार कहां कितने प्रवासी भारतीयों पर हमले हुए
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (MEA) ने संसद में 2023 में विदेशों में भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों और हत्याओं के आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में कुल 86 भारतीय नागरिकों पर हमले हुए, जिनमें से 12 अमेरिका, 10 कनाडा, 10 ब्रिटेन, और 10 सऊदी अरब में हुए थे। इसके अलावा, रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, चीन, कजाखस्तान, आयरलैंड, फिलीपींस, इटली और ईरान में भी हमले हुए, हालांकि इनमें से अधिकतर हमलों में कोई हताहत नहीं हुआ।
भारतीय छात्रों पर हमले : एक नजर (Safety of Indian students)
पिछले पांच वर्षों में विदेशों में भारतीय छात्रों पर 91 हमले हुए, जिनमें से 30 मामलों में छात्रों की मृत्यु हुई। कनाडा में 27 हमले हुए, जिनमें से 16 में छात्रों की मौत हुई। रूस में 15 भारतीयों पर हमले हुए, लेकिन इनमें कोई मृत्यु नहीं हुई। अमेरिका में 9 हमले हुए, जिनमें सभी में छात्रों की मृत्यु हुई। ब्रिटेन और जर्मनी में भी हमले हुए, जिनमें से हर एक में एक-एक छात्र की मृत्यु हुई।
नस्लीय हमलों के पीछे की वजहें
नस्लीय भेदभाव: भारतीयों की रंग, भाषा या संस्कृति के आधार पर भेदभाव। आर्थिक असुरक्षा: कुछ देशों में लोग भारतीयों को ‘नौकरी छीनने वाला’ मानते हैं। राजनीतिक माहौल: कई देशों में प्रवासियों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर नफरत: ऑनलाइन नफरत भी हिंसा को बढ़ावा दे रही है। नस्लीय भेदभाव और भारतीयों के प्रति नफरत इसके मुख्य कारण बताए जा रहे हैं।
प्रवासी भारतीयों की प्रतिक्रिया
“हम काम करने आए हैं, पर हर वक्त डर बना रहता है।” “सरकार को हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।” “हर घटना के बाद केवल बयानबाज़ी होती है, ठोस कदम नहीं।
पढ़ो, वरना भारतीय आ जाएंगे,डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी कारण
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक भाषण में अमेरिकी युवाओं को चेताते हुए कहा था कि अगर वे पढ़ाई में ध्यान नहीं देंगे और मेहनत नहीं करेंगे, तो भारतीय आकर उनकी नौकरियां ले लेंगे। ट्रंप का यह बयान अमेरिका में भारतीयों के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए दिया गया था, खासकर आईटी और टेक सेक्टर में, जहां भारतीय प्रोफेशनल्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। ट्रंप ने कहा कि आज दुनिया भर के देशों में से भारतीय युवा सबसे ज्यादा मेहनती हैं और टेक्नोलॉजी, साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में आगे निकलते जा रहे हैं। अगर अमेरिकी युवा पढ़ाई और स्किल डवलपमेंट पर ध्यान नहीं देंगे, तो वे पीछे छूट जाएंगे और भारतीय उनकी जगह ले लेंगे।
ट्रंप के इस बयान को कुछ लोगों ने चेतावनी माना
ट्रंप के इस बयान को जहां कुछ लोगों ने चेतावनी माना, वहीं कई लोगों ने इसे अप्रत्यक्ष रूप से भारतीयों की काबिलियत का सम्मान भी कहा। भारतीय समुदाय का मानना है कि वे मेहनत से अपनी जगह बनाते हैं, किसी की नौकरी छीनने नहीं आते। यह बयान न सिर्फ अमेरिका की नीति और युवाओं की सोच को लेकर एक सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वैश्विक स्तर पर भारतीय प्रतिभा को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अमेरिका में अपनी काबिलियत से भारतीयों का दबदबा
दरअसल यह कोई बिना वजह डर नहीं है। आज गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, IBM और Adobe जैसी दिग्गज टेक कंपनियों में भारतीय मूल के लोग शीर्ष पदों पर हैं। हर साल हजारों की संख्या में भारतीय H-1B वीजा पर अमेरिका जाकर टेक कंपनियों में काम कर रहे हैं। सिलिकॉन वैली जैसे टेक हब में भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की भागीदारी 30% से ज्यादा है। यूनिवर्सिटी स्तर पर भी भारतीय छात्रों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है, खासकर कंप्यूटर साइंस और डेटा साइंस जैसे कोर्स में भी भारतीय आगे हैं।
भारतीय छात्रों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता (Indian government response to attacks)
विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारतीय छात्रों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इन घटनाओं की गंभीरता से जांच की जाती है। मंत्रालय ने संबंधित देशों की सरकारों से इन मामलों की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि विदेशों में भारतीय नागरिकों और छात्रों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर निरंतर ध्यान और कार्रवाई होने की आवश्यकता है।