18 जिलों में एकसाथ चला अभ्यास
इस मॉक ड्रिल में दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुल 18 जिलों ने हिस्सा लिया। दिल्ली-एनसीआर के 55 से अधिक स्थानों पर यह अभ्यास एक ही समय पर किया गया। यह पहला मौका था जब तीन राज्यों की कई एजेंसियां एक साथ जुड़ीं और एकीकृत आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली की व्यवहारिक समीक्षा की गई।
सायरन बजा और शुरू हुई रेस्क्यू कार्रवाई
सुबह जैसे ही निर्धारित समय पर सायरन बजा, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल), दिल्ली पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, एनसीसी, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों की टीमें तुरंत सक्रिय हो गईं। दिल्ली के दरियागंज स्थित गोलचा सिनेमा परिसर में अभ्यास के दौरान ऐसा दृश्य रचा गया, मानो किसी भूकंप ने इमारत को हिला दिया हो। फौरन एक डमी को इमारत के मलबे से निकाला गया, उसे प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर नजदीकी ‘अस्पताल’ पहुंचाया गया। रेस्क्यू टीमों ने रस्सियों और सीढ़ियों की मदद से ऊपरी मंजिलों से लोगों को सुरक्षित नीचे उतारा। आसपास के लोग कुछ समय के लिए भ्रमित हो गए कि कहीं कोई असली दुर्घटना तो नहीं हो गई।
गुरुग्राम में भी दिखी तैयारी की झलक
हरियाणा के गुरुग्राम में ताऊ देवीलाल स्टेडियम और सेक्टर 31 स्थित पॉल क्लीनिक समेत कई स्थानों पर इसी तरह के मॉक सीन क्रिएट किए गए। पॉल क्लीनिक की ऊपरी मंजिलों से रेस्क्यू टीमें ‘घायलों’ को रस्सियों के सहारे नीचे लाईं। बीके अस्पताल में घायलों की तत्काल चिकित्सा की गई। इन सभी गतिविधियों ने यह संकेत दिया कि आपदा की स्थिति में प्रशिक्षित टीमें कैसे त्वरित और समन्वित कार्रवाई कर सकती हैं।
क्यों जरूरी हैं ऐसी मॉक ड्रिल?
डीडीएमए के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र भूकंप और औद्योगिक रासायनिक खतरों के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र माने जाते हैं। बीते महीनों में महसूस किए गए हल्के भूकंपीय झटकों ने यह एहसास दिलाया है कि किसी भी वक्त बड़ा खतरा सामने आ सकता है। ऐसे में आम नागरिकों को जागरूक करना और एजेंसियों को तैयार रखना बेहद जरूरी है। अधिकारियों ने कहा, “यह मॉक ड्रिल केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि हमारी तैयारियों की परीक्षा है। इससे हमें अपनी कमजोरियों को पहचानने, संसाधनों की प्रभावशीलता को जांचने और रेस्पॉन्स टाइम को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।”
व्यापक सहभागिता और समन्वय
इस मेगा मॉक ड्रिल में सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि, एनजीओ, स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA), स्कूल-कॉलेज, व्यापारी संगठन और प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए। विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान, कार्य विभाजन और तकनीकी समन्वय को व्यवहार में लाने का यह व्यावहारिक मंच साबित हुआ। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के समन्वित प्रयास नागरिकों में भरोसा पैदा करते हैं और प्रशासन की तत्परता को नई धार देते हैं।