महिला को कोलार के एक अस्पताल में हार्ट सर्जरी के लिए भर्ती किया गया था। उसका रक्त समूह सामान्यत: ओ आरएच था, लेकिन सर्जरी से पहले रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ी तो उपलब्ध कोई भी ओ-पॉजिटिव यूनिट उनके शरीर से मेल नहीं खा रही थी। अस्पताल ने मामला रोटरी बेंगलूरु टीटीके ब्लड सेंटर की एडवांस्ड इम्यूनोहेमेटोलॉजी रेफरेंस लैब भेजा। लैब ने एडवांस्ड सेरोलॉजिकल तकनीक से जांच की तो पता चला कि महिला का रक्त ‘पैनरिएक्टिव’ (किसी सामान्य रक्त सैंपल से मेल नहीं खाना) था। इससे संदेह हुआ कि यह कोई दुर्लभ या अब तक अज्ञात रक्त समूह हो सकता है। महिला के 20 परिजनों के रक्त सैंपल की भी जांच की गई, लेकिन कोई मेल नहीं मिला। रक्त चढ़ाए बगैर ही महिला की सफल हार्ट सर्जरी की गई। जांच के लिए महिला और उसके परिवार के रक्त सैंपल ब्रिटेन की इंटरनेशनल ब्लड ग्रुप रेफरेंस लेबोरेटरी, ब्रिस्टल भेजे गए। वहां दस महीनों के व्यापक शोध और आणविक परीक्षण के बाद महिला में नए रक्त एंटीजन की खोज हुई।
दुर्लभ समूह वालों के लिए रजिस्ट्री शुरू महिला दुनिया की पहली व्यक्ति है, जिसमें नया सीआरआइबी एंटीजन पाया गया। इस खोज के बाद रोटरी बेंगलूरु टीटीके ब्लड सेंटर ने कर्नाटक स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल और मुंबई में आइसीएमआर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी (आइआइएच) के सहयोग से रेयर डोनर रजिस्ट्री शुरू की है। दुर्लभ रक्त समूह वाले मरीजों को समय पर सही रक्त मुहैया कराने के लिए यह पहल की गई।
वैश्विक रक्त विज्ञान में नई पहचान ‘सीआरआइबी’ में ‘सीआर’ का मतलब ‘क्रोमर’ (एक मौजूदा रक्त समूह) और ‘आइबी’ का मतलब ‘इंडिया-बेंगलूरु’ है। इस खोज से भारत को वैश्विक रक्त विज्ञान में नई पहचान मिली है। यह दुर्लभ रक्त समूहों पर शोध और मरीजों को जीवन रक्षक सहायता देने की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।