scriptKargil Vijay Divas: भारत माता का वो सपूत, जिसने पाकिस्तानी सेना के मनोबल को कुचलकर रख दिया | Kargil Vijay Divas Know Major Vikram Batra Story yeh dil mange more | Patrika News
राष्ट्रीय

Kargil Vijay Divas: भारत माता का वो सपूत, जिसने पाकिस्तानी सेना के मनोबल को कुचलकर रख दिया

Kargil Vijay Divas: मेजर विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनका ये दिल मांगे मोर नारा आज भी लोगों के जहन में ताजा है। विक्रम बत्रा ने कारगिल युद्ध में अद्वितीय शौर्य और रणनीतिक कौशल का परिचय दिया था।

भारतJul 26, 2025 / 11:57 am

Pushpankar Piyush

परमवीर चक्र विजेता शहीद मेजर विक्रम बत्रा

परमवीर चक्र विजेता शहीद मेजर विक्रम बत्रा

कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Divas) को आज 26 साल पूरे हो गए हैं। भारत के वीर सपूतों की दास्तां आज भी देशवासियों के दिलों में तरोताजा है। कारगिल युद्ध (1999) में भारत के 527 जवान शहीद हुए थे। इनमें से एक थे मेजर विक्रम बत्रा। हिमाचल के पालमपुर में जन्मे मेजर विक्रम बत्रा (Major Vikram Batra) ने कारगिल युद्ध में अद्वितीय शौर्य और रणनीतिक कौशल का परिचय दिया था। उन्होंने पाकिस्तानी सेना के मनोबल को कुचल कर रख दिया था।

युद्ध के दौरान मिला था ‘शेरशाह’ कोडवर्ड

युद्ध के दौरान मेजर विक्रम बत्रा को ‘शेरशाह’ कोडवर्ड दिया गया था। बत्रा के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों से प्वाइंट 5140 छीन लिया। एक तरफ जहां पाकिस्तानी सेना बंकरों में छिपकर हमला कर रही थी, तो वहीं भारतीय सेना खुली जगह से हमला कर रही थी। भारतीय सेना को पाकिस्तानी घुसपैठियों के मजबूत प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था।
हंप और राकी नाब को जीतने के बाद विक्रम बत्रा को प्रमोट करके भारतीय सेना में कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद उन्हें श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सामरिक रूप से सबसे महत्त्वपूर्ण चोटी संख्या-5140 को पाकिस्तानी चंगुल से आजाद कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

ये दिल मांगे मोर

बेहद दुर्गम और कठिन परिस्थिति होने के बावजूद विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 की सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर तिरंगा फहरा दिया। इसके बाद उन्होंने अपने कमांडर ब्रिगेडियर वाई के जोशी, जो बाद में लेफ्टिनेंट जनरल पद से रिटायर हुए, उन्हें ‘ये दिल मारे मोर’ कोड साइन भेजकर मिशन की सफलता का संदेश दिया। विक्रम बत्रा का ‘ये दिल मांगे मोर’ नारा देश भर में छा गया। इसी दौरान विक्रम बत्रा को शेरशाह के साथ ही कारगिल का शेर का नाम मिला।

7 जुलाई 1999 को हुए थे विक्रम बत्रा शहीद

इसके बाद विक्रम बत्रा और उनकी टीम को चोटी 4875 को भी कब्जे में लेने की जिम्मेदारी मिली। जान की परवाह न करते हुए लैफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ कैप्टन विक्रम बत्रा इस चोटी को जीतने में लग गए। 17 हजार की फीट की ऊंचाई पर 7 जुलाई 1999 को एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन विक्रम बत्रा शहीद हो गए। उनके अद्मय शौर्य और पराक्रम को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत अगस्त 1999 को सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया।

युद्ध के दौरान अपने जुड़वा भाई को लिखा था पत्र

मेजर विक्रम बत्रा ने युद्ध के दौरान अपने जुड़वा भाई कुश को पत्र लिखा था। विक्रम ने लिखा, डियर कुश हमें बात किए काफी लंबा अरसा बीत गया। तुम्हारे ऑफिस में फोन लगाया था, लेकिन बात नहीं हो पाई? कैसे हो तुम? अब भी टाटा में काम कर रहे हो या कोई नया जॉब ढूंढ लिया? तुम्हारा बैंक ऑफ पंजाब का इंटरव्यू कैसा रहा? इधर सब ठीक है। कमांडो कोर्स से वापिस आने के बाद मैं अपनी पुरानी लोकेशन पर तीन महीने रहा। तुम न्यूज पढ़ रहे होगे कि यहां (कारिगल) माहौल गर्म है। मैं 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बैठा हूं। पाकिस्तानियों से लड़ रहा हूं। सुरक्षा कारणों से जगह का नाम नहीं लिख सकता, लेकिन जिंदगी खतरे में है। कुछ भी हो सकता है। रोज बमबारी होती है। मेरी बटालियन के एक ऑफिसर शहीद हो गए। इसलिए सभी यहां दुखी हैं। बाकी सब ठीक है। कुश तुम मम्मी-पापा का ध्यान रखना। पता नहीं मैं कब वापस आऊंगा। और कुछ नहीं है कहने को। सभी को मिस कर रहा हूं। मुझे जवाब लिखना।

Hindi News / National News / Kargil Vijay Divas: भारत माता का वो सपूत, जिसने पाकिस्तानी सेना के मनोबल को कुचलकर रख दिया

ट्रेंडिंग वीडियो