इस घटना ने जेलों की सुरक्षा पहलुओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुख्यात अपराधी गोविंदाचामी शुक्रवार की सुबह कन्नूर सेंट्रल जेल से भाग गया था। फरार होने के 10 घंटे के अंदर उसे कन्नूर में एक सुनसान इमारत में मौजूद एक कुएं से पकड़ लिया गया। बताया जा रहा है कि पुलिस से बचने के लिए वह कुएं में कूदा था। जब उसे पकड़ा गया तब वह जेल के कपड़ों में नहीं था।
स्थनीय लोगों की मदद से पकड़ा गया बदमाश
पुलिस को यह सफलता स्थानीय लोगों की बदौलत मिली, जिन्होंने गोविंदाचामी के बारे में बताए गए विवरण से मिलते-जुलते एक आदमी को देखा था, जिससे पुलिस उसके ठिकाने तक पहुंच सकी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अपराधी पिछले 20 दिनों से भागने की प्लानिंग कर रहा था। शुक्रवार सुबह लगभग 4:00 बजे गोविंदाचामी जेल से भाग निकला। इस घटना को लेकर जेल प्रशासन की खूब आलोचना हो रही है। बता दें कि अपराधी शारीरिक रूप से फिट नहीं है। इसके बावजूद जेल की दीवार फांदकर भागने में कामयाब रहा।
आखिर किसने की मदद?
शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि उसने दीवार फांदने के लिए कंबल का इस्तेमाल किया था। जेल अधिकारियों को अब तक इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि वह बिना किसी मदद के जेल की दीवार कैसे फांद गया? जेल की दीवार छह मीटर ऊंची है। उसके ऊपर बिजली की बाड़ लगी है। ऐसा माना जा रहा है कि जब बदमाश भागा, उस समय वह काम नहीं कर रही थी। इसके साथ यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि उसे भगाने में किसी ने मदद जरूर की होगी।
4 अधिकारी निलंबित
हालांकि, जेल प्रशासन ने इस मामले में एक्शन भी लिया है। उस समय ड्यूटी पर तैनात 4 जेल अधिकारियों को लापरवाह पाए जाने के बाद निलंबित कर दिया गया है। काफी मशक्कत के बाद पुलिस खूंखार अपराधी को पकड़ पाई। उसे पकड़ने के बाद कन्नूर टाउन पुलिस स्टेशन ले जाया गया। मेडिकल जांच के बाद, साक्ष्य जुटाने के लिए उसे फिर केंद्रीय कारागार ले जाया गया। इसके बाद उसे अदालत में पेश किया गया। अब उसे 14 दिनों की हिरासत में भेज दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि उसे त्रिशूर की वियूर उच्च सुरक्षा वाली जेल में शिफ्ट किया जा सकता है।
इस मामले में हुई थी सजा
गोविंदाचामी ने 1 फरवरी, 2011 को एक 23 की लड़की को एर्नाकुलम-शोरानूर पैसेंजर ट्रेन से धक्का दिया था। उसके साथ बलात्कार किया गया था। इसके साथ, लड़की की बेरहमी से पिटाई भी की थी। पीड़िता रेलवे पुलिस को एक ट्रैक के पास मिली। 6 फरवरी, 2011 को त्रिशूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में उसकी मौत हो गई। उस समय, गोविंदाचामी को तमिलनाडु में आठ मामलों में पहले ही दोषी ठहराया जा चुका था। अदालत ने 2012 में आरोपी को आदतन अपराधी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी। इसके साथ कहा था कि क्रूर बलात्कार पीड़िता की मौत का एक कारण था। अपराध इतना क्रूर था कि उसने समाज को झकझोर दिया।
दो साल बाद हाई कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखी। जिसके खिलाफ उसने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 में गोविंदाचामी के खिलाफ हत्या का आरोप हटाते हुए उसकी मौत की सजा को सात साल की जेल की सजा में बदल दिया, लेकिन आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी।