पूरे शरीर पर थे बंदरों के काटने के निशान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, करीब पांच बंदरों ने राम सिंह को चारों ओर से घेर लिया और हमला कर दिया। हमले में राम सिंह के शरीर के कई हिस्सों पर गहरे जख्म आए। जैसे ही उन्होंने खुद को बचाने का प्रयास किया, उनका संतुलन बिगड़ गया और वह छत से नीचे गिर पड़े। उनकी हालत गंभीर हो गई, जिसके बाद उन्हें पहले एक निजी चिकित्सक के पास और फिर मुरादाबाद रेफर किया गया। लेकिन इलाज से पहले ही रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया।
परिजनों ने बिना कार्रवाई कर दिया अंतिम संस्कार
गंभीर बात यह है कि इस दुखद हादसे की जानकारी न तो पुलिस को दी गई और न ही प्रशासन को। स्वजन ने किसी भी कानूनी प्रक्रिया के बिना शव का अंतिम संस्कार कर दिया। इस पर थाना प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि इस मामले की जानकारी उन्हें नहीं दी गई है।
बंदरों का आतंक: पहले भी ले चुके हैं जानें
इस घटना ने एक बार फिर क्षेत्र में बंदरों के बढ़ते आतंक की ओर प्रशासन का ध्यान खींचा है। यह कोई पहली घटना नहीं है जब बंदरों ने किसी की जान ली हो। कुंदरकी क्षेत्र के गांव शेखूपुर खास में इसी साल 12 फरवरी को एक महिला हमशीरन पत्नी फकीर मोहम्मद की मौत भी बंदरों के हमले के चलते छत से गिरने पर हुई थी। कटघर क्षेत्र के गांव देवापुर लाखन सैनी में 4 जून को बंदरों की उछलकूद के कारण छत से कुल्हाड़ी गिर गई थी, जो खेल रहे मासूम आरव के सिर पर लग गई। मासूम की मौके पर ही मौत हो गई थी।
गांव-गांव में बंदरों का आतंक, लोग सहमे
डिलारी क्षेत्र और आसपास के दर्जनों गांव जैसे महमूदपुर लाल, मिलक अमावती, डिलारी कस्बा, सरकड़ा बिश्नोई, जोगीपुरा, फरीदपुर कासम, गोविंदपुर चंगेरी, जुल ढकिया, रहता माफी, डिलारी दोराहा और हुमायूंपुर में बंदरों के झुंड खुलेआम उत्पात मचा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि ये बंदर घरों में घुसकर खाद्य सामग्री और कीमती वस्तुएं उठा ले जाते हैं, बच्चों पर हमला करते हैं और खेतों की फसलें बर्बाद कर देते हैं।
वन विभाग और प्रशासन करे ठोस कार्रवाई
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन और शिकायतें दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि जब तक कोई बड़ी घटना न हो, तब तक प्रशासन आंखें मूंदे रहता है।
प्रशासन का जवाब
खंड विकास अधिकारी त्रिलोक चंद ने कहा है कि सभी संबंधित ग्राम प्रधानों और ग्राम विकास अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे कि बंदरों को पकड़वाकर उन्हें जंगलों में छोड़ा जाए, ताकि आमजन को राहत मिल सके।