न्यायमूर्ति निशीथा माथुर की पीठ ने यह आदेश उस याचिका पर सुनाया जिसमें याची रहमानी ने विभाग द्वारा एनओसी न दिए जाने को चुनौती दी थी। याची को एनएचएआई में डिप्टी जनरल मैनेजर (टेक्निकल) पद पर चयनित किया गया था। लेकिन विभाग ने यह कहते हुए एनओसी देने से इनकार कर दिया कि विभाग में कार्यकारी अभियंताओं की भारी कमी है। कोर्ट ने इस आधार को खारिज करते हुए कहा कि अगर विभाग में वाकई कमी है। तो फिर कार्यकारी अभियंता सुधीर कुमार भारद्वाज को डिप्युटेशन की अवधि कैसे बढ़ा दी गई। यह स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण और अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है। जो समान अवसर और समानता का अधिकार सुनिश्चित करते हैं।
कोर्ट ने 10 दिनों के भीतर एनओसी जारी करने का दिया आदेश
कोर्ट ने माना कि रहमानी और भारद्वाज के मामले में समानता थी। ऐसे में एक को अनुमति और दूसरे को इनकार करना असंवैधानिक और मनमाना फैसला है। याची के वकील गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी थी कि राज्य सरकार को इस तरह से भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।अब कोर्ट के आदेश के बाद PWD को दस दिनों के भीतर एनओसी जारी करनी होगी। जिससे रहमानी NHAI में अपनी नई जिम्मेदारी संभाल सकें।