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साइबर अपराध में UP नंबर वन; एक ही दिन में 6000 शिकायतें, 5 साल में करोड़ों की ठगी, ये दो जिले हैं ‘हॉटस्पॉट’

Cyber Crime : उत्तर प्रदेश में साइबर धोखाधड़ी तेजी से बढ़ रही है, जहां हर घंटे 250 से ज़्यादा लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। 2021 से फरवरी 2025 तक देशभर में NCRP पर दर्ज 38 लाख से अधिक शिकायतों में यूपी प्रमुख राज्यों में रहा।

लखनऊJul 31, 2025 / 06:30 pm

Avaneesh Kumar Mishra

यूपी में आ रहे साइबर क्राइम के सबसे ज्यादा केस, PC- Patrika Design Team

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध अब एक विकराल रूप ले चुका है, जहां डिजिटल दुनिया की चमक के साथ-साथ धोखाधड़ी का अंधेरा भी गहराता जा रहा है। राज्य में हर घंटे औसतन 250 से ज़्यादा लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं, जो इस खतरे की गंभीरता को दर्शाता है। केंद्र सरकार के नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर 2021 से फरवरी 2025 के बीच देशभर में दर्ज 38 लाख से अधिक शिकायतों में उत्तर प्रदेश शीर्ष राज्यों में शामिल रहा है, जिससे पता चलता है कि यह राज्य साइबर अपराधियों के लिए एक बड़ा गढ़ बन चुका है।

यूपी के नए ‘हॉटस्पॉट’ और ठगी के बदलते तरीके

साइबर ठगों ने अब शहरी ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों तक अपनी पैठ बना ली है। 2024 में गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) और मथुरा को साइबर अपराध के प्रमुख हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है। इसके अलावा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज जैसे बड़े शहरी केंद्र भी साइबर अपराध से बुरी तरह प्रभावित हैं। वहीं, जौनपुर, कुशीनगर, मऊ, मिर्ज़ापुर और कानपुर देहात जैसे ग्रामीण बहुल जिलों में भी डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है। यूपी पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2024 के शुरुआती महीनों में ही राज्य में 66,854 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जो पूरे साल के लिए एक गंभीर संकेत है।
साइबर अपराधी लगातार अपने तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम इनमें सबसे खतरनाक बनकर उभरा है, जहां ठग खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर वीडियो कॉल पर पीड़ितों को धमकाते हैं और ‘मामला सुलझाने’ या ‘समझौता’ करने के नाम पर पैसे ऐंठते हैं। देश में 2024 में ऐसे 1.2 लाख से ज़्यादा मामले सामने आए, जिससे ₹1,935 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
साइबर अपराध।
इसके अतिरिक्त, UPI फ्रॉड (नकली QR कोड, ‘कलेक्ट रिक्वेस्ट’, स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स), फ़र्ज़ी जॉब ऑफर, गेमिंग ऐप/OLX झांसा, और ग्राहक सेवा केंद्र धोखाधड़ी भी बड़े पैमाने पर की जा रही है। टेलीकॉम ऑपरेटर एयरटेल के अनुसार, पूर्वी यूपी में फ़िशिंग लिंक, फ़र्ज़ी डिलीवरी मैसेज और स्पूरियस बैंकिंग अलर्ट के ज़रिए धोखाधड़ी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। एयरटेल की AI-पावर्ड धोखाधड़ी पहचान प्रणाली ने सिर्फ 56 दिनों में 1.5 करोड़ से अधिक यूज़र्स को ऐसे खतरों से बचाया है, जो इस समस्या की व्यापकता को दर्शाता है।

पूरे देश में ₹36,448 करोड़ का नुकसान

साइबर धोखाधड़ी से देश को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। 2021 से फरवरी 2025 के बीच कुल ₹36,448 करोड़ ($4.2 बिलियन) का नुकसान दर्ज किया गया है। हालांकि इसमें से ₹4,380 करोड़ बैंक खातों में फ्रीज़ किए गए हैं, लेकिन पीड़ितों को वास्तव में केवल ₹60.5 करोड़ ही वापस मिल पाए हैं। यह दर्शाता है कि ठगी गई रकम की वापसी की दर बेहद कम, लगभग 0.17% है। व्यक्तिगत स्तर पर, कानपुर में हुई एक घटना के उदाहरण से पता चलता है कि औसत ठगी की रकम ₹50,000 से ₹80,000 प्रति व्यक्ति तक हो सकती है।
साइबर अपराध।

यूपी पुलिस की सशक्त पहल और तकनीकी मोर्चाबंदी

लखनऊ में बना नया साइबर कॉल सेंटर : उत्तर प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराधों पर लगाम लगाने और पीड़ितों को तुरंत मदद पहुँचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। लखनऊ के कल्ली स्थित डीसीपी साउथ के कार्यालय में एक नया कॉल सेंटर खोला गया है। डीजीपी राजीव कृष्ण द्वारा उद्घाटन किए गए इस सेंटर पर पहले ही दिन 6,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं। यह सेंटर हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से काम करेगा, और डीजीपी ने पीड़ितों से ‘गोल्डन टाइम’ (15 से 20 मिनट के भीतर) में शिकायत दर्ज कराने की अपील की है, ताकि जालसाज़ों के खातों को तत्काल फ्रीज किया जा सके।
FIR नियमों में बदलाव: डीजीपी मुख्यालय ने एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव करते हुए साइबर क्राइम पुलिस स्टेशनों में FIR दर्ज करने के लिए पहले से निर्धारित ₹5 लाख की वित्तीय सीमा को खत्म कर दिया है। अब आईटी एक्ट के तहत किसी भी मूल्य की साइबर धोखाधड़ी की शिकायत सीधे नामित साइबर पुलिस स्टेशनों में दर्ज और जांच की जा सकेगी।
साइबर अपराध।
सालभर में हर अधिकारी निपटाएगा 20 केस : धोखाधड़ी वाले कॉल सेंटरों या विभिन्न जिलों में एक-दूसरे से जुड़े मामलों की जांच अब साइबर पुलिस स्टेशनों की समर्पित टीमों द्वारा की जाएगी। किसी भी संगठित गिरोह की संलिप्तता वाले मामलों को अनिवार्य रूप से साइबर पुलिस स्टेशनों को हस्तांतरित किया जाएगा। जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, प्रत्येक जांच अधिकारी को प्रति वर्ष कम से कम 20 मामलों का निपटारा करना होगा, और सभी जांचों का मासिक ऑडिट एक राजपत्रित अधिकारी द्वारा किया जाएगा।
प्रशिक्षित बल और ढांचागत मजबूती: पुलिस ने 15 अधिकारियों को ‘साइबर कमांडो’ की विशेष ट्रेनिंग दी है, और प्रत्येक जोनल मुख्यालय में जल्द ही एक प्रशिक्षित ‘साइबर कमांडो’ अधिकारी होगा। साथ ही, प्रत्येक जिले और कमिश्नरेट में अपर एसपी या डीसीपी स्तर पर एक साइबर नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जिनकी जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से परिभाषित होंगी। पुलिस का यह भी प्रयास है कि उपनिरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) स्तर के अधिकारी भी साइबर मामलों की जांच कर सकें।
साइबर अपराध।
डीजीपी ने बताया कि आईटी एक्ट के प्रावधानों में संशोधन के प्रयास जारी हैं। राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया है, जिसमें साइबर अपराध पीड़ितों को केवल लिखित आवेदन के आधार पर CFCRRMS (नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली) के माध्यम से फ्रीज किए गए धन को जारी करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है, जिसके लिए FIR की आवश्यकता नहीं होगी।

एयरटेल की AI-पावर्ड तकनीक ने 1.5 करोड़ यूज़र्स को बचाया

एयरटेल ने एक बयान में बताया कि अपनी अखिल भारतीय AI-पावर्ड धोखाधड़ी पहचान प्रणाली के तहत, उसने उन्नत सुविधाओं को लॉन्च करने के सिर्फ 56 दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश (पूर्व) में 1.5 करोड़ से अधिक यूज़र्स को सफलतापूर्वक सुरक्षित किया है। कंपनी के एक अधिकारी ने ट्राई डेटा (मई 2025 तक अपडेटेड) का हवाला देते हुए बताया कि एयरटेल के यूपी ईस्ट में 36,260,483 यूज़र्स हैं।
साइबर अपराध।
एयरटेल ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के भारत के सबसे डिजिटली उन्नत राज्यों में से एक होने के कारण, ऑनलाइन धोखाधड़ी का खतरा इसके शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बढ़ गया है। धोखेबाज फ़िशिंग लिंक, फ़र्ज़ी डिलीवरी और फ़र्ज़ी बैंकिंग अलर्ट के ज़रिए यूज़र्स को तेज़ी से निशाना बना रहे हैं।'”‘
कंपनी ने आगे कहा, ‘लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहरों के साथ-साथ कानपुर देहात, जौनपुर, कुशीनगर, मऊ और मिर्ज़ापुर जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में भी ऐसे धोखाधड़ी के प्रयासों में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है।’ हालांकि, कंपनी ने इन अपराधों की कोई विशेष संख्या नहीं बताई।

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