CG Unique Temple: रहस्यमयी शिवलिंग के दर्शन को उमड़ते हैं श्रद्धालु
सावन माह और महाशिवरात्रि जैसे विशेष पर्वों पर यहां दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो आस्था और विश्वास का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा ज़िले में स्थित नगर पंचायत खरौद को अक्सर “छत्तीसगढ़ की काशी” कहा जाता है। यह नगर न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, बल्कि यहां मौजूद एक विशेष शिवलिंग के कारण यह धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इस शिवलिंग की खास बात यह है कि इसमें सवालाख (1,25,000) छिद्र हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में “छिद्र शिवलिंग” या “सवालाख छिद्रों वाला शिवलिंग” कहा जाता है।
शिवलिंग का महत्व
खरौद में स्थित यह शिवलिंग अद्वितीय है और वैज्ञानिक व आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी विशेष रुचि का विषय है। मान्यता है कि इन छिद्रों में से प्रत्येक में एक ब्रह्मांड का वास है, और इन छिद्रों को ध्यानपूर्वक देखने पर एक अलग अनुभूति होती है। यह शिवलिंग भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है, जिसे देखने दूर-दराज़ से लोग आते हैं। धार्मिक आस्था
खरौद में शिवभक्तों की भारी भीड़ सालभर लगी रहती है, लेकिन श्रावण मास और
महाशिवरात्रि के समय यहां विशेष उत्सव का माहौल होता है। भक्त जलाभिषेक, दूध, दही, शहद और बेलपत्र से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। मंदिर परिसर “हर हर महादेव” और “बम बम भोले” के नारों से गूंज उठता है।
इतिहास और मान्यता
ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर कलचुरी वंश के समय का है। लोककथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र में कभी 108 शिव मंदिरों का निर्माण हुआ था, जिनमें से कई आज भी अस्तित्व में हैं। खरौद के इस शिवलिंग को देखने आने वाले भक्तों का मानना है कि यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शिव कृपा से जीवन में सुख-शांति आती है। अन्य मंदिर और सांस्कृतिक धरोहर
खरौद केवल शिवलिंग के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य पुरातात्विक मंदिरों और स्मारकों के लिए भी प्रसिद्ध है: खरौद केवल सवालाख छिद्रों वाले
शिवलिंग के लिए ही नहीं, बल्कि अपने प्राचीन मंदिरों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां लक्ष्मणेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर महादेव मंदिर और अन्य कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, जो कलचुरी काल की वास्तुकला और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी मूल्यवान हैं।
लक्ष्मणेश्वर मंदिर लक्ष्मणेश्वर मंदिर, खरौद का एक प्रमुख प्राचीन मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर कलचुरी वंश के शासनकाल में निर्मित हुआ माना जाता है और इसकी वास्तुकला में उस युग की कला और शिल्पकौशल की झलक मिलती है। मंदिर की नक्काशीदार दीवारें और पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां इसे एक ऐतिहासिक धरोहर बनाती हैं।
शिवरीनारायण मंदिर (नदी संगम पर स्थित, नज़दीक) शिवरीनारायण मंदिर छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण नगर में महानदी,
शिवनाथ और जोंक नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह नारायण को समर्पित है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। संगम पर स्थित होने के कारण यहाँ विशेष स्नान और पूजन का महत्व है, और श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।
भुवनेश्वर महादेव मंदिर भुवनेश्वर महादेव मंदिर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक नगर खरौद में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है और यहां स्थापित शिवलिंग की विशेष मान्यता है। धार्मिक आस्था के साथ-साथ यह स्थल पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
शिवगंगा कुंड शिवगंगा कुंड खरौद में स्थित एक पवित्र जलस्रोत है, जो भुवनेश्वर महादेव मंदिर के पास बना हुआ है। मान्यता है कि इस कुंड का जल कभी नहीं सूखता और इसमें स्नान करने से श्रद्धालुओं को पुण्य की प्राप्ति होती है। यह स्थान धार्मिक यात्रियों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र है।
वर्तमान स्थिति
आज भी यह स्थल धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार और पर्यटन विभाग द्वारा इसे धार्मिक पर्यटन सर्किट में शामिल किया गया है। मंदिर की देखरेख स्थानीय समिति द्वारा की जाती है, और उत्सवों के दौरान विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं। खरौद का सवालाख छिद्रों वाला शिवलिंग छत्तीसगढ़ की आस्था, परंपरा और धार्मिकता का प्रतीक है। यह स्थान केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि संस्कृति, अध्यात्म और इतिहास का भी जीवंत प्रमाण है। सावन के इस पावन महीने में यहां की यात्रा करना, शिवभक्तों के लिए एक अलौकिक अनुभव होता है