मौलाना रशीदी ने दावा किया कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह इस्लामी मान्यताओं के आधार पर था। उन्होंने कहा, “संविधान हर धर्म को अपनी मान्यताओं के अनुसार जीवन जीने और प्रचार-प्रसार की अनुमति देता है। मैंने सिर्फ यह कहा कि किसी मुस्लिम धार्मिक स्थल पर जाने के दौरान शरीर और सिर ढका होना चाहिए।”
विवादित टिप्पणी में मौलाना ने कहा, “‘नंगा’ शब्द कोई अभद्र गाली नहीं है। समाज में जब कोई लड़की शॉर्ट्स पहनती है तो लोग यही कहते हैं कि वो ‘नंगी’ है। मैंने केवल यह कहा कि डिंपल यादव को मस्जिद में ढंग से जाना चाहिए था। तस्वीरें जानबूझकर मुस्लिम समुदाय को अपमानित करने के लिए सोशल मीडिया पर डाली गईं।”
राजनीतिक गलियारों में हंगामा
इस बयान को लेकर सपा और अन्य राजनीतिक दलों ने तीव्र विरोध दर्ज कराया। एनडीए सांसदों ने संसद परिसर में मौलाना के बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए डिंपल यादव ने कहा, “जब किसी महिला के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपमानजनक भाषा का प्रयोग होता है, तो सत्तारूढ़ दल को तत्काल प्रतिक्रिया देती है, लेकिन मणिपुर में महिलाओं पर हुए अत्याचारों पर वो मौन क्यों रहते हैं?” उन्होंने सीधे तौर पर सवाल उठाया कि “क्या महिलाओं का अपमान केवल राजनीति तक सीमित रहेगा?”
मौलाना का पलटवार: “मुझे मुस्लिम होने की सज़ा मिल रही”
प्राथमिकी दर्ज होने और सोशल मीडिया पर आलोचना झेलने के बाद मौलाना साजिद रशीदी ने खुद को पीड़ित बताते हुए कहा, “मैंने किसी को गाली नहीं दी। जो कुछ भी कहा, वह इस्लामिक मान्यताओं के अनुरूप था। मुझे सिर्फ इसलिए टारगेट किया जा रहा है क्योंकि मैं मुसलमान हूं।” उन्होंने दावा किया कि “मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है, मुझे धमकाया जा रहा है, मेरी बेटी को लेकर धमकियां दी जा रही हैं। ये सब अखिलेश यादव के इशारे पर हो रहा है।”
मौलाना ने यहां तक कहा, “महिलाओं के साथ सड़क पर बलात्कार जैसी घटनाओं पर कोई नहीं बोलता, लेकिन एक धार्मिक रूप से असंगत पोशाक पर टिप्पणी करना उनके लिए इतना बड़ा अपराध बन गया कि एफआईआर दर्ज हो गई। मुझे इस्लाम की ‘ठेकेदारी’ करनी है।”