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भारत-रूस के बीच डिफेंस का कितना होता है व्यापार, ट्रंप के टैरिफ से हर साल होगा देश काे इतना नुकसान

India-Russia Trade: भारत-रूस के रक्षा संबंध 1960 के दशक से चले आ रहे हैं। आज भी भारत की सेना में जो हथियार, टैंक, मिसाइल सिस्टम और लड़ाकू विमान हैं, उनमें से लगभग आधे रूस से आए हैं।

भारतJul 30, 2025 / 09:47 pm

Shaitan Prajapat

ट्रंप के टैरिफ से हर साल होगा देश काे इतना नुकसान (Photo- Patrika)

India-Russia Trade: भारत और रूस के बीच दशकों पुराना रक्षा सहयोग अब अमेरिका की आंखों की किरकिरी बनता जा रहा है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन जैसे देशों पर सख्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों को चेतावनी दी कि यदि यह व्यापार जारी रहा, तो अमेरिका आयातित सामानों पर 25% तक का भारी टैरिफ लगाएगा।
भारत पर तो ट्रंप ने यह टैरिफ लागू भी कर दिया है, जिससे फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और आईटी जैसे भारतीय उत्पादों की कीमत अमेरिका में बढ़ जाएंगी। इससे भारत का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

भारत-रूस रक्षा व्यापार: कितनी गहरी है साझेदारी?

भारत-रूस के रक्षा संबंध 1960 के दशक से चले आ रहे हैं। आज भी भारत की सेना में जो हथियार, टैंक, मिसाइल सिस्टम और लड़ाकू विमान हैं, उनमें से लगभग आधे रूस से आए हैं। SIPRI (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-2023 के बीच भारत के कुल हथियार आयात का 49% हिस्सा रूस से आया। सालाना रक्षा व्यापार लगभग 2-3 बिलियन डॉलर (16,000-24,000 करोड़ रुपये) का होता है।

कौन-कौन से बड़े सौदे हुए हैं?

S-400 डिफेंस सिस्टम
भारत ने 2018 में रूस से पांच S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का सौदा किया था। यह सौदा $5.43 बिलियन (43,000 करोड़ रुपये) का है, जिससे भारत की वायु सुरक्षा को जबरदस्त ताकत मिली है।
सुखोई और मिग लड़ाकू विमान
भारतीय वायुसेना के पास 260 से अधिक सुखोई-30 MKI जेट हैं, जो रूस से लिए गए हैं। मिग-29 और मिग-21 जैसे विमान भी दशकों से भारत की सेवा में हैं।
T-90 टैंक
भारतीय सेना के पास 1,000 से अधिक T-90 टैंक हैं। इनकी खरीद भी रूस से हुई है और यह आज भी भारत की जमीनी ताकत की रीढ़ हैं।

नौसेना के हथियार और सबमरीन
भारत को किलो-क्लास सबमरीन, तलवार-क्लास फ्रिगेट, और ब्रह्मोस मिसाइल रूस से मिली हैं। ब्रह्मोस तो रूस-भारत का संयुक्त प्रोजेक्ट है, जिसे अब भारत फिलीपींस जैसे देशों को निर्यात कर रहा है।
AK-203 राइफल्स
2019 में भारत ने रूस से 7.5 लाख AK-203 राइफल्स खरीदने का सौदा किया था। इनमें से 70,000 राइफल्स रूस से आयात की गई हैं और बाकी भारत में बन रही हैं।

भारत-रूस व्यापार का कुल आंकड़ा

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और रूस के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार $68.7 बिलियन (लगभग 5.7 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है। इसमें रक्षा के अलावा कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) का प्रमुख योगदान है।

ट्रंप का टैरिफ भारत को कैसे प्रभावित करेगा?

निर्यात को लगेगा झटका
भारत अमेरिका को हर साल 83 बिलियन डॉलर (2024-25) का सामान निर्यात करता है। यदि इन पर टैरिफ लगा, तो दवाइयां, कपड़े, आईटी सेवाएं और ऑटोमोबाइल जैसे प्रमुख सेक्टरों की बिक्री घट सकती है।
तेल की कीमतों में बढ़ोतरी
भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता है। यदि दबाव में यह व्यापार रुका, तो भारत को महंगा तेल खरीदना पड़ेगा, जिससे महंगाई बढ़ेगी।

डिफेंस सप्लाई पर खतरा
अगर अमेरिका दबाव बनाता है, तो रूस से हथियार खरीदना कठिन हो सकता है। अमेरिका से हथियार लेना भारत के लिए ज्यादा महंगा और कूटनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण होगा।

कितना हो सकता है सालाना नुकसान?

सिटी रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के संभावित टैरिफ के कारण भारत को सालाना 7 अरब डॉलर यानी करीब 61,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। सबसे अधिक असर केमिकल्स, मेटल प्रोडक्ट्स, ज्वेलरी, ऑटोमोबाइल, दवाइयों और खाद्य उत्पादों पर पड़ेगा।

रूस भारत से क्या खरीदता है?

रूस, भारत से कई कृषि और औद्योगिक उत्पाद खरीदता है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • झींगा (श्रिंप)
  • चावल
  • तंबाकू
  • चाय और कॉफी
  • मसाले
औद्योगिक और मेडिकल श्रेणी में:

  • फार्मास्युटिकल्स
  • केमिकल्स
  • मशीनों के पुर्जे
    वर्तमान में भारत से रूस को सालाना 13 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार होता है।

भारत की रणनीतिक दुविधा

भारत को अमेरिका और रूस के साथ संतुलन बनाकर चलना होगा। एक ओर, रूस भारत का पारंपरिक रक्षा साझेदार है, तो दूसरी ओर अमेरिका आज भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर है। भारत को अब डिप्लोमेसी के ज़रिए इस संकट को संभालना होगा। अमेरिका से बातचीत कर राहत पाने की कोशिशों के साथ भारत, तेल और रक्षा स्रोतों को विविधता देने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।
भारत-रूस रक्षा सहयोग वर्षों से चला आ रहा है और यह भारत की सैन्य ताकत की रीढ़ है। लेकिन बदलती वैश्विक राजनीति में यह रिश्ता अमेरिका जैसे ताकतवर देशों को चुभने लगा है। डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ भारत के लिए बड़ा आर्थिक संकट ला सकता है। अब भारत को अपने रणनीतिक संतुलन और घरेलू उद्योग को सुरक्षित रखने के लिए सधी हुई चाल चलनी होगी।

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