मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय पोरवाल और अधीक्षक डॉ अशोक शर्मा की शिकायत पर झालावाड़ पुलिस ने नरेश मीणा और उनके सहयोगी, हिस्ट्रीशीटर प्रदीप उर्फ गोलू को गिरफ्तार किया। दोनों को 8 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। नरेश मीणा के दो अन्य समर्थकों को भी न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है।
इन धाराओं में दर्ज हुई FIR
पुलिस ने नरेश मीणा के खिलाफ IPC की धारा 121(1) (सरकारी कार्य में बाधा), 132 (अभद्र व्यवहार) और 352 (उपद्रव) के तहत मामला दर्ज किया। FIR में कहा गया कि 25 जुलाई 2025 को नरेश मीणा ने अपने समर्थकों के साथ मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन वार्ड के सामने धरना दिया, नारेबाजी की और एम्बुलेंस सहित आपातकालीन सेवाओं को बाधित किया। अस्पताल स्टाफ के साथ धक्कामुक्की, गाली-गलौच और अभद्र व्यवहार के भी आरोप लगे। इस हंगामे से गंभीर मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ। पुलिस ने मौके पर समझाइश की कोशिश की, लेकिन नरेश मीणा और उनके समर्थकों ने उग्र व्यवहार जारी रखा, जिसके बाद लाठीचार्ज करना पड़ा।
हिरासत के बाद नरेश मीणा का दावा
नरेश मीणा ने पुलिस हिरासत में दावा किया कि वे झालावाड़ स्कूल हादसे के पीड़ितों के लिए न्याय मांग रहे थे। उनकी मांग थी कि मृतक बच्चों के परिवार को 1-1 करोड़ रुपये, घायलों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा और पीड़ित परिवारों को संविदा पर नौकरी दी जाए। उन्होंने कहा कि उनकी जन क्रांति यात्रा छोड़कर वे पीड़ितों के लिए आए थे, लेकिन सरकार ने उनकी मांगें पूरी नहीं कीं। हालांकि, भजनलाल सरकार ने हादसे के 12 घंटे बाद मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पिपलोदी गांव जाकर दो परिवारों को संविदा नौकरी के ऑफर लेटर सौंपे, लेकिन घायलों के लिए कोई मुआवजा घोषित नहीं हुआ।
पहले भी हो चुके हैं गिरफ्तार
नरेश मीणा की यह दूसरी गिरफ्तारी है। इससे पहले, उपचुनाव के दौरान एक SDM को थप्पड़ मारने का उनका वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद उन्हें सशर्त जमानत मिली थी। शर्त थी कि वे भविष्य में ऐसी हरकत नहीं करेंगे। लेकिन अस्पताल में धरना और हंगामा करने के कारण उनकी जमानत शर्तें प्रभावित हुईं और अब वे फिर से जेल में हैं। उनके सहयोगी प्रदीप उर्फ गोलू एक कुख्यात अपराधी है और जिसके खिलाफ हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट सहित 30 मामले दर्ज हैं, को भी गिरफ्तार किया गया।