भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) ने राजस्थान के रत्न एवं आभूषण उद्योग को अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई उड़ान देने की राह खोल दी है। अब यूके में इन उत्पादों पर कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा, जिससे राजस्थान के निर्यातकों को बड़ी राहत मिलेगी।
राज्य सरकार ने इसे प्रदेश के इन उत्पादों के लिए ‘गेम चेंजर’ बताया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में दिसम्बर में होने वाले ‘राइजिंग राजस्थान पार्टनरशिप कॉन्क्लेव-2025’ में भी इस समझौते को राज्य के औद्योगिक विकास से जोड़ते हुए विशेष फोकस रहेगा।
हथकरघा, टेक्सटाइल और परिधान
भीलवाड़ा, पाली, बाड़मेर जैसे जिलों के वस्त्र उद्योग को नया बाज़ार और यूके फैशन ब्रांड्स से सीधे डीलिंग का अवसर मिलेगा। राजस्थान की बांधनी, लहरिया, खादी जैसी पारंपरिक वस्तुएं विदेशी बाजारों में लोकप्रिय हो सकती हैं। यूके को निर्यात में 15 से 20 प्रतिशत तक की संभावित वृद्धि बताई जा रही है।
जयपुर जैसे शहरों में रत्न, आभूषण, मार्बल, टेक्सटाइल, फर्नीचर और हस्तशिल्प के क्लस्टर्स को इंटरनेशनल मार्केट तक पहुंचने में आसानी होगी। सरकार इन क्लस्टर्स को स्पेशल एक्सपोर्ट जोन (सेज) के रूप में विकसित करने की योजना बना सकती है। सरकार ई-एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम के जरिए युवाओं और स्टार्टअप्स को भी जोड़ सकती है। स्थानीय वैल्यू एडिशन नियमों के साथ ऑटो पार्ट्स के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
प्रदेश के लिए मौका
कीमती, अर्द्ध-कीमती पत्थर, मोती, कृत्रिम आभूषण जैसे उत्पादों पर शून्य शुल्क मार्बल, पारंपरिक फर्नीचर, हस्तशिल्प, धातुशिल्प को यूके के लक्जरी मार्केट में नई जगह टपूकड़ा का होंडा प्लांट इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स के लिए मॉडल के रूप में। यहां से इंजन पार्ट्स-फ्रैंकशाफ्ट जैसे उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है।
कॉन्क्लेव-2025′ में होगी बात
-भारत-यूके समेत अन्य देशों के साथ साझेदारी को मजबूती देगा -एफटीए जैसे समझौतों का प्रभाव प्रस्तुत किया जाएगा -राज्य में आर्थिक परिवर्तन को उद्योगों से जोड़ा जाएगा
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