Malegaon Blast Case: वर्षों से चर्चा में रहे मालेगांव बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि 2008 के इस बम विस्फोट में जिस मोटरसाइकिल का इस्तेमाल हुआ था, उसके साध्वी प्रज्ञा से संबंध होने के कोई पुख्ता सबूत जांच एजेंसी पेश नहीं कर सकी।
इसके अलावा, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत कार्रवाई का आधार नहीं बनता। इस फैसले के बाद राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने मालेगांव बम विस्फोट मामले में सात आरोपियों को बरी किए जाने पर कांग्रेस पार्टी की कड़ी आलोचना की है।
कांग्रेस पर भजनलाल शर्मा के आरोप
भजनलाल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के तहत हिंदुओं को बदनाम करने के लिए ‘हिंदू टेरर’ जैसा आपत्तिजनक शब्द गढ़ा था। इस भ्रामक अवधारणा से न केवल सनातन धर्म की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया, बल्कि निर्दोष साधु-संतों और धर्मगुरुओं को भी निशाना बनाया गया।
भजनलाल शर्मा ने कहा कि कल संसद में माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने दृढ़ता से कहा था कि हिंदू कभी आतंकी नहीं हो सकते। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू धर्म की मूल भावना ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ में निहित है, न कि हिंसा में।
कांग्रेस पार्टी ने अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के तहत हिंदुओं को बदनाम करने के लिए 'हिंदू टेरर' जैसा आपत्तिजनक शब्द गढ़ा था। इस भ्रामक अवधारणा से न केवल सनातन धर्म की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया, बल्कि निर्दोष साधु-संतों और धर्मगुरुओं को भी निशाना बनाया गया।
भजनलाल शर्मा ने कहा कि आज मालेगांव विस्फोट केस में सभी आरोपियों की बरी होना इसी सत्य की पुष्टि करता है। यह ऐतिहासिक निर्णय न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता को दर्शाता है और ‘सत्यमेव जयते’ के सिद्धांत को सिद्ध करता है। इससे कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता और वोट बैंक की राजनीति का असली चेहरा पूर्णतः उजागर हो गया है। न्याय की यह जीत सभी सनातनियों के लिए गर्व का विषय है।
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बम विस्फोट 2008- क्या था पूरा मामला?
बताते चलें कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए एक भीषण बम धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस विस्फोट में छह लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित पर गंभीर आरोप लगे थे। उन पर जम्मू-कश्मीर से आरडीएक्स लाकर अपने घर में छिपाने और बाद में इसे देवलाली छावनी में सुधाकर चतुर्वेदी के आवास पर बम निर्माण के लिए इस्तेमाल करने का आरोप था।
जांच में दावा किया गया कि प्रवीण टक्कलकी, रामजी कालसांगरा और संदीप डांगे ने मोटरसाइकिल पर बम लगाने का काम किया था। इन सभी को एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा बताया गया, जिसका मकसद व्यापक अस्थिरता फैलाना था।
पहली चार्जशीट 2009 में दाखिल
गौरतलब है कि इस मामले की पहली चार्जशीट 2009 में दाखिल की गई, जिसमें 11 लोगों को आरोपी बनाया गया और तीन को फरार घोषित किया गया। जांच के दौरान कई अहम सबूत सामने आए, जिनमें सुधाकर धर द्विवेदी के लैपटॉप से प्राप्त रिकॉर्डिंग और वॉयस सैंपल शामिल थे। इसके अलावा, जनवरी 2008 में फरीदाबाद, भोपाल और नासिक में हुई गुप्त बैठकों का भी खुलासा हुआ, जहां इस साजिश की योजना को अंतिम रूप दिया गया था। इन बैठकों में कथित तौर पर विस्फोट की रणनीति और लक्ष्यों पर चर्चा हुई थी।
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