कोयला मंत्रालय ने इन्हीं प्रावधानों की याद दिलाते हुए उत्पादन निगम के अनुरोध को नहीं माना है। इसके बाद उत्पादन निगम प्रबंधन से लेकर ऊर्जा विभाग तक में खलबली मची है। जल्द ही दिल्ली में कोयला मंत्रालय के अफसरों के साथ बातचीत होगी। अभी छत्तीसगढ़ में परसा कांटा और ईस्ट बेसिन कोयला खदान से 70 लाख टन कोयला मिल रहा है। जब तक कंपनी का गठन नहीं हो जाता, तब तक प्लांट को कोयला मिलता रहेगा।
इस चुनौती से पार पाना होगा…
कंपनी का गठन होने के बाद उत्पादन निगम को आवंटित खदानों से कोयला मिलना बंद हो जाएगा। यह है हिस्सेदारी
जॉइंट वेंचर में उत्पादन निगम व एनटीपीसी की 50:50त्न हिस्सेदारी है।
प्लांट की बढ़ानी है क्षमता
प्लांट की क्षमता 2320 मेगावाट है। नई कंपनी को यहां दो यूनिट का और निर्माण करना है। हर एक यूनिट की क्षमता 660 या 800 मेगावाट की होगी। 120 लाख टन कोयला चाहिए
अभी हर वर्ष 70 लाख टन कोयला छत्तीसगढ़ से और 23 लाख टन कोयला कोल इंडिया से आ रहा है। दो यूनिट बढ़ने पर अतिरिक्त 50 लाख टन कोयले की जरूरत होगी।
उत्पादन प्रभावित होने की आशंका
यदि विवाद नहीं सुलझा, कोयला नहीं मिला और कंपनी समय पर कहीं से इंतजाम नहीं कर पाई तो प्लांट से बिजली उत्पादन भी प्रभावित होने की आशंका बनेगी।