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जबलपुर

मध्यप्रदेश के नाम में बदलाव पर जबलपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

MP Highcourt- यूपी की तर्ज पर एमपी में भी जिलों, शहरों, कस्बों, गांवों के नाम बदले जा रहे हैं। इसी गहमागहमी में प्रदेश के नाम में बदलाव की भी चर्चा चल पड़ी।

जबलपुरJul 26, 2025 / 06:14 pm

deepak deewan

Jabalpur High Court's decision on change in name of Madhya Pradesh

Jabalpur High Court’s decision on change in name of Madhya Pradesh

MP Highcourt- यूपी की तर्ज पर एमपी में भी जिलों, शहरों, कस्बों, गांवों के नाम बदले जा रहे हैं। इसी गहमागहमी में प्रदेश के नाम में बदलाव की भी चर्चा चल पड़ी। और तो और, इसके लिए जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका तक लगा दी गई। इसमें मध्यप्रदेश को संक्षिप्त रूप से मप्र या एमपी लिखे जाने की खिलाफत की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए मप्र हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए दायर याचिका निरस्त कर दी। कोर्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश को मप्र या एमपी लिखे जाने से उसका नाम नहीं बदलता बल्कि राज्य की पहचान और आसान हो जाती है। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए यह भी कहा कि इस मामले में क्या जनहित निहित है, याचिकाकर्ता यह नहीं बता पाए।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा एवं जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने कहा कि न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में शब्दों के संक्षिप्तीकरण प्रयुक्त किए जाते हैं। यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका को यूएसए और यूनाइटेड किंगडम को यूके लिखा जाता है। इस मत के साथ कोर्ट ने मध्यप्रदेश को संक्षिप्त रूप से मप्र या एमपी लिखे जाने के खिलाफ दायर याचिका निरस्त की।

ताकि राज्य का नाम मप्र या एमपी ना लिखा पढ़ा जाए…

याचिका भोपाल निवासी वीके नस्वा ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने स्वयं अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि हमारे प्रदेश का संवैधानिक नाम मध्य प्रदेश है। इसके बावजूद 90 प्रतिशत लोग बोलचाल में और 80 प्रतिशत लोग लिखापढ़ी में इसे एमपी या मप्र कहते हैं। कोर्ट से आग्रह किया गया कि राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को समुचित कदम उठाने के लिए निर्देशित किया जाए। ताकि राज्य का नाम मप्र या एमपी ना लिखा पढ़ा जाए।

कोर्ट ने यह कहा –

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि लेखन में जगह और समय बचाने के लिए शब्दों के संक्षिप्तीकरण प्रयोग किए जाते हैं। यह लेखन को तेज और अधिक आसान बनाते हैं। कुछ जगहों में राज्यों के कोड के लिए यह संक्षिप्तीकरण जरूरी होता है। वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबरों में देश भर में राज्यों के संक्षिप्त नाम प्रयुक्त किए जाते हैं। टैक्स संबंधी कार्यों में भी राज्यों के कोड प्रयुक्त होते हैं। न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में इस तरह की संक्षिप्त नाम प्रयुक्त किए जाते हैं। इससे राज्य का नाम नहीं बदलता, बल्कि उसकी पहचान और आसान हो जाती है।

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