शहर की नालियों को साफ करने के लिए हाइड्रोलिक सिस्टम के साथ एक मिनी जेसीबी मशीन आई थी। जो वार्डों में छोटी नालियों को साफ करने के लिए थी। यह मशीन खराब होने के बाद इसे कबाड़ में डाल दिया गया, जो वर्षों से इसी तरह पड़ी हुई है। जबकि इस मशीन से नालियों की सफाई का कार्य आसान हो गया था।
शहर की सड़कों की धूल साफ करने के लिए ऑटोमैटिक स्वीपिंग व वाइपिंग मशीन नगरपालिका दो बार खरीद चुका है। यह दोनों मशीनें भी फिल्टर प्लांट पर पड़ी देखी जा सकती हैं। इनमें से एक मशीन पूरी तरह कबाड़ हो चुकी है। जबकि एक मशीन को कुछ समय पहले पत्रिका की खबर के बाद उपयोग में लिया गया था।
इतना ही नहीं दर्जन भर से अधिक कचरा कलेक्शन वाहन, मोप टैंकर, टैंकर, टै्रक्टर, कंटेनर, कचरा डस्टबिन सहित अनेक प्रकार की सामग्री यहां पड़ी देखी जा सकती है। जो कि यहां पड़ी-पड़ी कबाड़ हो रही है। बताया जाता है कि यहां पड़ी सामग्री की कीमत करोड़ में है। जिसका न तो नगरपालिका द्वारा उपयोग किया जा रहा है और न ही इन्हें कबाड़ मानकर बेचने का काम किया जा रहा है।
आधुनिक होते समय में अब भी नगरपालिका द्वारा पुरानी पद्धति से सफाई का कार्य कराया जा रहा है। जिसका कारण मशीनरी का नहीं होना बताया जाता है। अब भी नगरपालिका के पास ऐसे संसाधन तक नहीं है कि नाली के ऊपर यदि पांच फिट का चेंबर है, तो उसके नीचे की नाली को बिना चेंबर हटाए साफ किया जा सके। ऐसे में अनेक जगहों पर चेंबर ही तोड़ दिए जाते हैं। जिससे शहर में अधिकांश जगहों पर नालियां खुली पड़ी हैं और बदबू, मच्छर, गंदगी से फैलने वाली बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं।
फिल्टर प्लांट पर जाकर स्थिति देखता हूं। जिनता भी सामान यहां रखा है रेकॉर्ड बनवाता हूं। साथ ही उपयोग में जो भी मशीन आ सकती है, उसका सुधार कार्य किया जाएगा। शेष सामग्री नीलाम की जाएगी।
रामचरण अहिरवार, प्रभारी सीएमओ नगरपालिका दमोह