राहुल द्रविड़ (38 साल और 222 दिन)
भारतीय क्रिकेट की ‘दीवार’ कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ ने 2011 में इंग्लैंड दौरे पर ओवल टेस्ट में अपनी काबिलियत का शानदार नमूना पेश किया। 38 साल और 222 दिन की उम्र में द्रविड़ ने पहली पारी में 266 गेंदों पर नाबाद 146 रन बनाए। इस पारी में उन्होंने 20 चौके जड़े और अपनी तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन किया। द्रविड़ इस मुक़ाबले में ओपन करने आए थे और बैट कैरी करते हुए अंत में नॉटआउट वापस गए। क्योंकि भारत फॉलो-ऑन नहीं बचा पाया था। इसलिए दस मिनट के बाद वे फिर से बल्लेबाजी करने आ गए। हालांकि,भारत को उस टेस्ट में पारी और 8 रन से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन द्रविड़ की यह पारी उनकी आखिरी विदेशी शतकीय पारी के रूप में याद की जाती है।
सचिन तेंदुलकर (37 साल और 255 दिन)
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी का जादू किसी से छिपा नहीं है। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन टेस्ट में 37 साल और 255 दिन की उम्र में तेंदुलकर ने 314 गेंदों में 146 रन की शानदार पारी खेली। यह उनके करियर का 51वां और आखिरी टेस्ट शतक था। इस पारी के बावजूद मैच ड्रॉ रहा, लेकिन तेंदुलकर ने एक बार फिर साबित किया कि उम्र उनके खेल के आड़े नहीं आ सकती।
अनिल कुंबले (36 साल और 297 दिन)
भारत के महान लेग स्पिनर अनिल कुंबले को भले ही उनकी गेंदबाजी के लिए जाना जाता हो, लेकिन 2007 में ओवल टेस्ट में उन्होंने बल्ले से भी कमाल दिखाया। 36 साल और 297 दिन की उम्र में कुंबले ने 193 गेंदों में नाबाद 110 रन बनाए। उनकी इस पारी की बदौलत भारत ने पहली पारी में 664 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। कुंबले ने दूसरी पारी में भी नाबाद 8 रन बनाए और मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ। यह शतक कुंबले के टेस्ट करियर का एकमात्र शतक था, जिसने उनकी ऑलराउंड क्षमता को दुनिया के सामने ला खड़ा किया।
रविंद्र जडेजा (36 साल और 233 दिन)
भारतीय क्रिकेट के ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने हाल ही में मैनचेस्टर टेस्ट में अपनी बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया। 36 साल और 233 दिन की उम्र में जडेजा ने दूसरी पारी में 185 गेंदों में नाबाद 107 रन बनाए। पहली पारी में केवल 20 रन बनाने के बाद, जडेजा ने दूसरी पारी में जबरदस्त वापसी की। भारत ने जब 222 रन पर चौथा विकेट खोया, तब जडेजा ने वाशिंगटन सुंदर (नाबाद 101) के साथ मिलकर 203 रन की अटूट साझेदारी की और भारत को हार से बचाया। इस पारी ने न केवल जडेजा की टिकाऊ बल्लेबाजी को दिखाया, बल्कि उनकी टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता को भी उजागर किया।