वैसे तो प्रतिवर्ष 365 दिन पातालकोट को देखने पर्यटक आते हैं, लेकिन बारिश में उनकी संख्या ज्यादा नजर आती है। वीकेंड में तो मेला सा नजारा देखने को मिल रहा है। शनिवार और रविवार को तामिया के होटल और गेस्ट हाउस में बड़ी मशक्कत के बाद जगह मिल रही है। सबसे ज्यादा सैलानी नागपुर से पहुंच रहे हैं। इंदौर, भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर समेत अन्य जगहों से भी लोग आ रहे हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय निवासियों को रोजगार मिलने के साथ आय में बढ़ोतरी हुई है।
पातालकोट में पर्यटकों को सुकून और शांति
पातालकोट की विशाल घाटी में हमेशा हरियाली रहती है। पर्यटकों को सुकून और शांति मिलती है। झिंगरिया जलप्रपात, प्रतापगढ़ पहाड़, अंधेरी गुफा, हिल स्टेशन, वन संपदा लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं। पातालकोट में ऐसे एक दर्जन से अधिक ट्रैक उपलब्ध हैं, जहां एक घंटे से दो दिन तक ट्रैकिंग की जा सकती है। बाइकर्स के लिए भी ट्रैक मौजूद हैं। चिमटीपुर, रातेड़, अंबामाई, तालाबढाना, गैलडुब्बा प्रसिद्ध हैं। छोटा महादेव, तुलतुला नैनादेवी, चंडीमाई, गिरजामाई, ग्वालबाबा, अंबामाई मंदिरों में श्रद्धालु की भीड़ उमड़ रही है।
मक्का की रोटी और चटनी का स्वाद
पातालकोट में पर्यटकों को मक्का की रोटी और देसी टमाटर की चटनी का स्वाद मिलता है। टूरिज्म प्रमोटर पवन श्रीवास्तव पातालकोट की रसोई के माध्यम से पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा दे रहे हैं। पातालकोट की रसोई में मक्का की रोटी, महुआ की पूड़ी, गेहूं-चना की रोटी, देसी टमाटर की चटनी, चने की भाजी, बड़ी की सब्जी, कुटकी का भात, बरबटी की दाल और गेहूं का पापड़ दिया जाता है।
होम स्टे की सुविधा
पातालकोट में पर्यटकों को मक्का की रोटी और देसी टमाटर की चटनी का स्वाद मिलता है। टूरिज्म प्रमोटर पवन श्रीवास्तव पातालकोट की रसोई के माध्यम से पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा दे रहे हैं। पातालकोट की रसोई में मक्का की रोटी, महुआ की पूड़ी, गेहूं-चना की रोटी, देसी टमाटर की चटनी, चने की भाजी, बड़ी की सब्जी, कुटकी का भात, बरबटी की दाल और गेहूं का पापड़ दिया जाता है।