एक पहाड़ की चोटी पर स्थित, तामिया घोड़े की नाल के आकार की पातालकोट घाटी के साथ-साथ इसके चारों ओर घने जंगलों के दिलकश नजारे आपको नई एनर्जी और उत्साह से भर देते हैं। यहां के जंगल कुछ औषधीय पौधों और चट्टानों का घर हैं जो 2500 मिलियन साल पुराने हैं।
घने जंगलों के रास्ते भले ही दुर्गम होते हैं लेकिन इनके बीच रहकर आप इनकी महक में रंग जाते हैं कि खो जाते हैं। मानसून सीजन में घूमने की सबसे बेस्ट जगह।
ब्रिटिश काल की वास्तुकला
ब्रिटिश काल की वास्तुकला को प्रदर्शित करते कई पुराने और अच्छी तरह से बनाए गए घर हैं, ये घर यहां स्थित चट्टानों के किनारों पर हैं, जो इसके सौंदर्य को और बढ़ा देते हैं।
टूरिस्ट से गुलजार हुआ तामिया और पातालकोट
बता दें कि तामिया और पातालकोट की सुरमई वादियां पर्यटकों से गुलजार हैं। बारिश ने खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं। नजरों के सामने सिर्फ हरियाली दिखाई दे रही है। प्रकृति की अनमोल खूबसूरती को निहारने बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। यहां के पर्यटन स्थल सैलानियों की पहली पसंद बन गए हैं।
हर साल नहीं, हर दिन यहां घूमने आते हैं टूरिस्ट
वैसे तो प्रतिवर्ष 365 दिन पातालकोट को देखने पर्यटक आते हैं, लेकिन बारिश में उनकी संख्या ज्यादा नजर आती है। वीकेंड में तो मेला सा नजारा देखने को मिल रहा है। शनिवार और रविवार को तामिया के होटल और गेस्ट हाउस में बड़ी मशक्कत के बाद जगह मिल रही है। सबसे ज्यादा सैलानी नागपुर से पहुंच रहे हैं। इंदौर, भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर समेत अन्य जगहों से भी लोग आ रहे हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय निवासियों को रोजगार मिलने के साथ आय में बढ़ोतरी हुई है। चिमटीपुर पातालकोट का बेहद खूबसूरत गांव है, तो वहीं तामिया से करीब पांच किलोमीटर दूर धूसावानी में होम स्टे की सुविधा मिल रही है। मंधान डैम के बैक वॉटर के टापू पर काजरा गांव बसा है। होम स्टे की सुविधा मिल रही है। इससे पहले पातालकोट से लगे गांव सावरवानी में होम स्टे है, जहां देशी-विदेशी टूरिस्ट पहुंच रहे हैं।
तामिया में चिमटीपुर, धूसावानी, काजरा, सावरपानी में पर्यटकों को होम स्टे की सुविधा दी जा रही है, भविष्य में बीजेढाना, कठौतिया, श्रीझोत और घटलिंगा में होम स्टे तैयार हो जाएंगे। पूरे जिले में 35 होम स्टे की सुविधा दी जा रही है। -गिरीश लालवानी,पर्यटन प्रबंधक
मक्का की रोटी और चटनी का स्वाद पातालकोट में पर्यटकों को मक्का की रोटी और देसी टमाटर की चटनी का स्वाद मिलता है। टूरिज्म प्रमोटर पवन श्रीवास्तव पातालकोट की रसोई के माध्यम से पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा दे रहे हैं।
पातालकोट की रसोई में मक्का की रोटी, महुआ की पूड़ी, गेहूं-चना की रोटी, देसी टमाटर की चटनी, चने की भाजी, बड़ी की सब्जी, कुटकी का भात, बरबटी की दाल और गेहूं का पापड़ दिया जाता है।
पातालकोट की विशाल घाटी में हमेशा हरियाली रहती है। पर्यटकों को सुकून और शांति मिलती है। झिंगरिया जलप्रपात, प्रतापगढ़ पहाड़, अंधेरी गुफा, हिल स्टेशन, वन संपदा लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं। पातालकोट में ऐसे एक दर्जन से अधिक ट्रैक उपलब्ध हैं, जहां एक घंटे से दो दिन तक ट्रैकिंग की जा सकती है। बाइकर्स के लिए भी ट्रैक मौजूद हैं। चिमटीपुर, रातेड़, अंबामाई, तालाबढाना, गैलडुब्बा प्रसिद्ध हैं। छोटा महादेव, तुलतुला नैनादेवी, चंडीमाई, गिरजामाई, ग्वालबाबा, अंबामाई मंदिरों में श्रद्धालु की भीड़ उमड़ रही है।