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छिंदवाड़ा

मध्यप्रदेश में मानसूनी बारिश से उजागर हुई सडक़ों की बदहाली

नगरीय निकाय और ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव, गड्ढों और टूटी सडक़ों से जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

छिंदवाड़ाJul 05, 2025 / 06:35 pm

mantosh singh

मध्यप्रदेश में मानसून ने सडक़ों की पोल खोल दी है। नगरीय और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की बुनियादी ढांचागत व्यवस्थाओं की पोल इस बरसात में खुली हैं। सबसे अधिक असर सडक़ों की हालत पर देखने को मिल रहा है। लगातार बारिश के कारण कई जिलों में सडक़ें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। नगरीय निकाय क्षेत्रों में प्रमुख मार्गों से लेकर गलियों तक की हालत खराब हो गई है, वहीं ग्रामीण अंचलों में कच्ची और सीमेंटेड दोनों प्रकार की सडक़ें टूटने लगी हैं।
शहरों की बात करें तो भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा जैसे बड़े नगरों में भी जलभराव और सडक़ों के धंसने की घटनाएं सामने आई हैं। ग्वालियर में तो 120 करोड़ के प्रोजेक्ट की एक सडक़ में सुरंग और गड्ढों की श्रंखला तक बन गई है। अन्य शहरों में भी कई सडक़ें इतनी खराब हो गई हैं कि वाहन चालकों को रोजाना दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की हालत और भी चिंताजनक है। बारिश में कच्ची सडक़ें कीचड़ में बदल चुकी हैं।
पक्की सडक़ें भी जगह-जगह से उखड़ गई हैं। इससे न केवल परिवहन बाधित हुआ है, बल्कि अस्पताल, स्कूल और बाजार तक पहुंचने में भी लोगों को परेशानी हो रही है। अब सवाल उठ रहे हैं कि मानसून पूर्व तैयारियां क्यों नहीं की गईं? बारिश में इस तरह की समस्याएं सामने आती हैं, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में अब तक ठोस प्रयास नहीं हो सका है। विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी सडक़ें पहली बारिश में ही दम तोड़ देती हैं।
इससे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं। सडक़ों की बदहाल स्थिति जनता की नाराजगी और प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा मुद्दा बन चुकी है। आवश्यकता है कि युद्धस्तर पर सडक़ों की मरम्मत और स्थायी समाधान की दिशा में काम करने की, ताकि आमजन को राहत मिल सके और भविष्य में यही समस्याएं बार-बार सामने न आएं।

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