ऐसे में कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक की पढ़ाई करवाई जाती है। एक कमरे में दो शिक्षक, अलग-अलग विषयों को पढ़ाने का प्रयास करते हैं। अमरवाड़ा विकासखंड के ग्राम गढ़ा छोटा में बारिश के दिनों में ऐसी ही स्थिति बन चुकी है। यहां पांच कक्षाओं के 21 विद्यार्थी एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। इस स्कूल की मुख्य बिल्डिंग में ताला लगा दिया गया है, जहां की छत बारिश के दिनों में इतना टपकती है कि फर्श में पानी भर जाता है। इसके कारण विद्यालय के बगल से बने एक अतिरिक्त भवन में सभी कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।
कक्षा में एक ब्लैक बोर्ड में कभी पहली की गणित पढ़ाई जाती है तो कभी कक्षा पांच की अंग्रेजी। जब एक कक्षा के विद्यार्थी को पढ़ाया जाता है ,तो दूसरी कक्षा के विद्यार्थी मुंह ताकते हैं। जिला शिक्षा केंद्र के आंकड़ों के अनुसार ऐसे 23 स्कूल हैं, जिन्हें अपने भवन में ताला लगाकर पंच, सरपंच, पंचायत भवन या किराए के कमरे में कक्षा लगानी पड़ती है। कुछ स्कूल आंगनबाड़ी भवन अथवा बनाए गए अतिरिक्त कमरे में संचालित होते हैं।
जनवरी में बनाई सूची, मार्च में भेजा प्रस्ताव
जिला शिक्षा केंद्र के सहायक यंत्री राजू सिंह नायक ने राज्य शिक्षा विभाग के पास साढ़े तीन माह पूर्व मार्च में ही जिला शिक्षा केंद्र ने विकासखंड वार मरम्मत योग्य एवं पूरी तरह जीर्ण शीर्ण स्कूलों की सूची भेज दी थी। उन्होंने बताया कि जनवरी में ही सभी 11 विकासखंडों के बीआरसी से सर्वे करवाने के बाद सूची बना ली गई थी। इन बीआरसी को स्कूल शिक्षकों ने फोटो, वीडियो आदि प्रमाणों के साथ भौतिक स्थिति की जानकारी भेजी है। फिलहाल पूरे जिले में 86 जर्जर एवं 757 मरम्मत योग्य प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय हैं। सूची बने छह माह बीत चुका है। अब इनकी संख्या और बढ़ सकती है।
इनका कहना है
जीर्णशीर्ण भवनों के साथ पर नए स्कूल भवन बनाने के लिए और मरम्मत योग्य स्कूल भवनों के सुधार के लिए वार्षिक कार्ययोजना 2025-26 के लिए फंड की मांग करते हुए सूची भेजी गई है। अब तक स्वीकृत नहीं हुई है। – जेके इडपाचे, डीपीसी जिला शिक्षा केंद्र