पुलिस की अगली कार्रवाई (Police statement on Pune rape)
पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ जारी है। बलात्कार के आरोप की जांच अब भी चल रही है और पुलिस अन्य सबूत भी जुटा रही है।
शिकायत में पीड़िता का दावा
महिला ने शिकायत में कहा कि आरोपी ने बैंक दस्तावेज़ देने का बहाना किया और जब वह पेन लेने गई, तो आरोपी घर में घुस गया। उसने महिला पर स्प्रे किया, जिससे वह बेहोश हो गई। जब होश आया तो आरोपी जा चुका था। महिला ने अपने स्थानीय अभिभावक और परिचितों की मदद से पुलिस थाने पहुंचकर एफआईआर दर्ज कराई।
सोशल मीडिया पर जनता की राय बंटी हुई (False rape case Pune)
पुलिस के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर जनता की राय बंटी हुई दिख रही है। कुछ लोग पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं कि वह जल्दबाज़ी में निष्कर्ष दे रही है, जबकि कुछ अन्य का मानना है कि हर केस की निष्पक्ष जांच जरूरी है।
महिला सुरक्षा से जुड़ी संस्थाएं कह रही हैं कि बिना पूरी जांच के इस तरह के बयान पीड़िता को मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पुलिस जांच के तथ्यों के बाद सुलगते सवाल
अब देखने वाली बात होगी कि पुलिस इस केस में मेडिकल रिपोर्ट, डिजिटल साक्ष्य (CCTV, कॉल डिटेल, चैट रिकॉर्ड्स) और अन्य गवाहों के बयान के आधार पर आगे क्या कार्रवाई करती है। क्या IPC की धारा 376 के तहत दर्ज मामला कायम रहेगा या आईपीसी की दूसरी धाराओं में केस बदलेगा – यह अगले कुछ दिनों में साफ हो सकता है।
क्या एक “सेल्फी” भी कोर्ट में निर्णायक साबित हो सकती है ?
इस केस ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है -क्या पुलिस बलात्कार की शिकायतों को गंभीरता से ले रही है या शुरुआती बयान से ही पीड़िता की छवि को कमजोर किया जा रहा है? इसके अलावा, यह मुद्दा डिजिटल साक्ष्यों की सत्यता और एडिटिंग को लेकर भी बहस छेड़ सकता है। एक अन्य पहलू यह भी है कि क्या सहमति और जबरदस्ती की व्याख्या डिजिटल युग में और जटिल हो गई है, जहां क्या एक “सेल्फी” भी कोर्ट में निर्णायक साबित हो सकती है ? इनपुट और पुष्टि: पुणे पुलिस मुख्यालय, पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस।
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