राज्यसभा में उठा था मामला
दरअसल, राज्यसभा में सरकार से पूछा गया था कि क्या सरकार 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है? इस पर वित्तीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सदन को बताया कि जीएसटी दरें और छूट जीएसटी परिषद की सिफारिशों के आधार पर तय की जाती हैं। यह जवाब कर्नाटक के व्यापारियों को यूपीआई लेनदेन के आंकड़ों के आधार पर जीएसटी मांग नोटिस मिलने के बाद आया है। वहीं, केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी पिछले हफ्ते कहा था कि कर्नाटक में छोटे व्यापारियों को जारी किए गए GST नोटिस राज्य सरकार की ओर से हैं। केंद्र सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
जोशी का बयान हास्यास्पद
जोशी के बयान पर पलटवार करते हुए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने इसे हास्यास्पद बताया। साथ ही कहा कि राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है। केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि कर्नाटक के वाणिज्यिक कर अधिकारियों ने ही छोटे व्यापारियों को जीएसटी बकाया नोटिस जारी किए थे। फिर भी, राज्य सरकार अब यह दिखावा कर जनता को गुमराह कर रही है कि इसमें उसकी कोई संलिप्तता नहीं है। यह जिम्मेदारी से बचने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है।
कर्नाटक में ही क्यों भेजे जा रहे नोटिस
केंद्रीय मंत्री जोशी ने सवाल किया कि अगर जीएसटी नोटिस केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए होते, तो कई अन्य राज्यों के व्यापारियों को भी मिल गए होते। लेकिन ऐसा कहीं और नहीं हुआ। ये नोटिस केवल कर्नाटक में ही क्यों भेजे जा रहे हैं? उन्होंने स्पष्ट किया कि जीएसटी के केंद्र सरकार के अधीन सीजीएसटी (केंद्रीय जीएसटी) और राज्य सरकारों के अधीन एसजीएसटी (राज्य जीएसटी) दो घटक हैं। कर्नाटक के छोटे व्यापारियों को ये नोटिस राज्य के वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जारी किए गए हैं।