किसानों को PM किसान की 20वीं किस्त का इंतजार है।IANS
PM-KISAN योजना का उद्देश्य गरीब किसानों को खेती में आर्थिक मदद देना है, लेकिन कई बार कुछ लोग गलत तरीके से फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में सरकार ने कई स्तरों पर डेटा वेरिफिकेशन की व्यवस्था की है जिससे फर्जीवाड़ा पकड़ में आता है।
सबसे पहले, किसान खुद या कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के जरिए पोर्टल या मोबाइल ऐप पर पंजीकरण करता है। इसके बाद राज्य सरकार उस किसान की पात्रता की जांच करती है। जब राज्य के पोर्टल पर किसान का डेटा अपलोड हो जाता है, तो PM-KISAN पोर्टल उस डेटा को Aadhaar, इनकम टैक्स रिकॉर्ड्स और पेंशन डाटा से मिलान करता है।
पेंशन पाने वाले का डेटा हो जाता है रिजेक्ट
अगर कोई व्यक्ति Income tax payer है या सरकारी पेंशन ले रहा है तो वह योजना के लिए अयोग्य माना जाता है और उसका डेटा स्वतः रिजेक्ट हो जाता है। ऐसे रिजेक्टेड डेटा को राज्य सरकारों को सुधार के लिए वापस भेजा जाता है।
डुप्लिकेट बैंक डिटेल्स वाले केस फंस जाते हैं
इसके अलावा, PFMS (Public Financial Management System) खातों की जांच करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिए गए बैंक अकाउंट नंबर और उसका प्रकार सही है। गलत या डुप्लिकेट बैंक डिटेल्स वाले केस इसमें फंस जाते हैं।
रिकॉर्ड सही वेरिफाई होने के बाद ही पैसा होता है ट्रांसफर
जिन किसानों के रिकॉर्ड सही पाये जाते हैं, उनके लिए Request for Fund Transfer (RFT) तैयार होता है और Fund Transfer Order (FTO) बनता है। एक बार फिर जांच कर स्पॉन्सर बैंकों को ट्रांसफर किया जाता है।
डीएम डोर टू डोर वेरिफिकेशन भी कराते हैं
सरकार समय-समय पर जिला अधिकारियों और कृषि विभाग से फील्ड वेरिफिकेशन भी कराती है, जिससे फर्जी लाभार्थियों की पहचान होती है। इस तरह Multi level Verification System और डेटा इंटीग्रेशन के जरिए धोखाधड़ी करने वालों को योजना से बाहर किया जाता है।
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