राज्य में अकेले बूंदी जिले के जंगलों में ही 1941 तक 75 बाघ मौजूद थे। बड़ी संख्या में बाघों सहित अन्य वन्यजीवों की मौजूदगी यहां की समृद्ध जैवविविधता का परिचायक है। बाघों की संख्या कम होने के पिछे उन्हें खतरनाक जानवर के रूप में देखा जाना तथा मौज-मस्ती एवं बहादुरी प्रदर्शित करने के लिए भी बाघों सहित अन्य वन्यजीवों का शिकार करना एक कारण रहा है। बूंदी का रामगढ़-विषधारी वन्यजीव अभयारण्य भी अवैध शिकार के कारण बाघ विहीन हो गया था जो अब फिर से बाघों की दहाड़ से गूंजने लगा है।
राजस्थान का बाघ कोरिडोर वर्तमान में गंभीर रूप से बिखरा हुआ है और रणथंभौर में बाघों की बढ़ती संख्या अन्य टाइगर रिजर्व की बाघ आबादी से अलग-थलग होकर इनब्रिङ्क्षडग का शिकार हो रहे हैं। रणथंभौर के बाघों द्वारा बार बार नए क्षेत्रों में भेजने के कई प्रयास सुरक्षित कोरिडोर के अभाव में विफल रहे हैं। राजस्थान में सरकार के नए संकल्प से इस बाघों के लिए गौरवशाली इतिहास वाले प्रदेश की धूमिल छवी के शीध्र ही बदलने की संभावना है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए, राजस्थान में पहले से ही 5486 वर्ग किमी के संयुक्त क्षेत्र के साथ पांच टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आ चुके हैं और मेवाड़़ के कुम्भलगढ़ को भी टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया चल रही है जो प्रदेश के लिए अच्छा संकेत है।
रामगढ़ विषधारी टाइगर 16 मई 2022 को टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल हुआ। राज्य में चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में अस्तित्व में आए रामगढ में गत दिनों क्लोजर से बाघिन जंगल में छोड़े जाने के साथ ही लंबे अरसे बाद बाघों की संख्या 7 तक पहुंच गई है। अब इस फिर से उभरते टाइगर रिजर्व में 3 नर व चार मादा बाघिन हो गई है, जिनमें एक जोड़ा वयस्क तो एक नर व तीन मादा युवा बाघ है, जबकि एक नर बाघ युवा होता शावक है। इस समय पूरे जंगल में आठ साल के युवा बाघ आरवीटी-1 का राज है। यह बाघ 5 सालों से रामगढ़ में मौजूद है तथा पूरे जंगल को अपनी टेरेटरी बना रखा है। इसी बाघ ने सरिस्का टाइगर रिजर्व से लाए गए युवा बाघ को मार डाला था।
बूंदी, कोटा व भीलवाड़ा जिले के 1501 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बफर जोन की जैवविविधता समृद्ध एवं बाघों के अनुकूल है। वर्तमान में वन विभाग केवल टाइगर रिजर्व के तौर पर केवल 225 वर्ग किलोमीटर के रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य को ही बाघों के अनुकूल बनाने में जुटा हुआ है जबकि टाइगर रिजर्व का कोर 2 सहित 85 प्रतिशत जंगल अभी तक टाइगर रिजर्व के रूप में उपेक्षित है। देवझर महादेव से भीमलत महादेव तक के करीब 300 वर्ग किलोमीटर के जनशून्य एवं बियावान जंगलों को बाघों के अनुकूल बनाने के प्रयास तेज करने होंगे ताकि बाघों को बेहतर कॉरिडोर फिर से मिल सके।