निरीक्षण सुबह करीब 11:30 बजे किया गया। पीडब्ल्यूडी कार्यालय के बाहर रेहड़ी-ठेले और दोपहिया वाहन खड़े थे, जिससे मुख्य द्वार पूरी तरह अवरुद्ध मिला। अंदर मौजूद कमरों में कई कट्टों में सब्जियां व फल, इलेक्ट्रॉनिक कांटे, और दुपहिया वाहन मिले। यह भी चौंकाने वाली बात रही कि कार्यालय की चाबी एक सब्जी विक्रेता के पास पाई गई। साफ दिखा कि कार्यालय लंबे समय से बंद है और इसे निजी उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
दोनों कार्यालयों में अधिकारी-कर्मचारी नदारद
पीडब्ल्यूडी कार्यालय में सात कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें सहायक अभियंता सुभाषचंद्र स्वामी सहित सभी अनुपस्थित मिले। पीएचईडी कार्यालय में चार कर्मचारी पदस्थापित हैं, जिनमें केवल सहायक अभियंता मुकेश पुरी के बारे में बताया गया कि वह बीकानेर में बैठक में हैं, जबकि अन्य सभी कर्मचारी गायब थे।
एसडीएम बोले…होगी कार्रवाई
एसडीएम रमेश कुमार ने कहा कि यह गंभीर लापरवाही का मामला है। कार्यालय में गैर-प्रशासनिक गतिविधियां स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि विभागीय नियंत्रण बेहद कमजोर है। जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाएगा। इस पूरे मामले की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।
पत्रिका व्यू
सरकारी दफ्तर में सब्जियों का कब्ज़ा, कर्मचारियों का गायब रहना, भले ही चौंकाता हो, लेकिन असलियत यही है कि मुख्यालय से दूर-दराज के इलाकों में खासतौर पर प्रशासनिक नियंत्रण न के बराबर है। यह तो अच्छा हुआ कि एक अधिकारी ने खाजूवाला में निरीक्षण किया, तो हालात का खुलासा हुआ। लोग चौंके। लेकिन मोटे तौर पर निगरानी के अभाव में अमूमन यही हाल दूरदराज के इलाकों में स्थित सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों आदि के हैं, जहां कर्मचारियों की शत-प्रतिशत मौजूदगी तो शायद तीस फीसदी कार्यालयों में भी न मिले। खाजूवाला की यह तस्वीर प्रशासनिक उदासीनता की बड़ी कहानी कहती है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो शासकीय संसाधनों का इस तरह दुरुपयोग आम बात बन जाएगी।