‘INDIA गठबंधन का भविष्य उज्ज्वल नहीं’
कार्यक्रम में बोलते हुए चिदंबरम ने कहा, “INDIA गठबंधन का भविष्य उतना उज्ज्वल नहीं दिखता, जैसा कि मृत्युंजय यादव ने कहा। उन्हें लगता है कि गठबंधन अब भी बरकरार है, लेकिन इस बारे में मैं आश्वस्त नहीं हूं। अगर यह पूरी तरह से बना हुआ है, तो मुझे बहुत खुशी होगी, लेकिन संकेत हैं कि यह कमजोर पड़ गया है।” हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अभी समय बीता नहीं है और गठबंधन को फिर से जोड़ा जा सकता है। “अब भी समय है, अगर हम एकजुटता के साथ आगे बढ़ें तो गठबंधन को मजबूत किया जा सकता है।” इस बयान से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस नेतृत्व के भीतर भी INDIA गठबंधन को लेकर संशय और चिंताएं हैं।
BJP की ताकत पर कसा तंज
चिदंबरम ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संगठनात्मक ताकत पर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि BJP केवल एक राजनीतिक पार्टी नहीं है, बल्कि वह “एक मशीन के पीछे दूसरी मशीन” है, जो देश की तमाम संस्थाओं को नियंत्रित करने की क्षमता रखती है।
उन्होंने कहा, मेरे अनुभव और इतिहास के अध्ययन के अनुसार, भाजपा जितना संगठित कोई दल नहीं है। वह न केवल एक पार्टी है, बल्कि एक ऐसा ढांचा है जो चुनाव आयोग से लेकर सबसे छोटे पुलिस थाने तक, हर स्तर पर प्रभाव डाल सकता है। यह लोकतंत्र की संस्थाओं पर गहरी पकड़ बनाए हुए है।
इस बयान के जरिए चिदंबरम ने संकेत दिया कि अगर विपक्ष को 2029 तक BJP को चुनौती देनी है, तो उसे केवल चुनावी गठबंधन से आगे बढ़कर संस्थागत स्तर पर भी तैयारियां करनी होंगी।
2029 के चुनावों को लेकर चेतावनी
चिदंबरम ने भविष्य की राजनीति को लेकर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यदि 2029 के आम चुनावों में भी भाजपा की ताकत और बढ़ गई, तो भारत में लोकतांत्रिक सुधारों की संभावना “सीमा के बाहर” चली जाएगी। उनका इशारा इस बात की ओर था कि मौजूदा सत्ता व्यवस्था अगर और मजबूत होती गई तो फिर विपक्ष के लिए संघर्ष करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
सलमान खुर्शीद ने भी जताई चिंता
किताब के सह-लेखक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने भी चिदंबरम की बातों से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन के सामने कई चुनौतियां हैं और यदि INDIA ब्लॉक को 2029 में भाजपा के खिलाफ बड़ा उलटफेर करना है, तो उसे “सिर्फ सीटों के बंटवारे से आगे बढ़कर, व्यापक सोच के साथ रणनीति बनानी होगी। खुर्शीद ने माना कि मौजूदा हालात में विपक्ष की एकता और सोच में स्पष्टता की कमी है, जिसे समय रहते ठीक करना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि किताब ‘Contesting Democratic Deficit’ इस बात पर रोशनी डालती है कि भारत जोड़ो यात्रा और विपक्षी एकता कैसे जन्मी और अब यह कहां पहुंची है।