जांच के बाद बीजापुर में आयोजित प्रेस वार्ता में विधायक सावित्री मंडावी ने कहा कि छात्रा के साथ हुए गंभीर मामले को प्रशासन दबाने का प्रयास कर रहा है। अधीक्षक और अधिकारियों ने छात्रा की गर्भावस्था को छिपाया, परिजनों पर दबाव बनाया और छात्रा को जबरन घर भेजने की कोशिश की गई। मामले को दबाने की कोशिशें अब भी जारी हैं और किसी भी अधिकारी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जांच समिति को पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया गया।
विधायक मंडावी ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में आदिवासी, किसान, महिला और युवा सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि बीजापुर जैसे आदिवासी बहुल जिले में माता-पिता अपने बच्चों को स्कूलों और छात्रावासों में प्रशासन के भरोसे भेजते हैं, लेकिन ऐसी शर्मनाक घटनाएं अस्वीकार्य हैं।बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने भी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो कांग्रेस पार्टी जनसहयोग से बड़ा आंदोलन करेगी।
नौ सदस्यीय जांच समिति में यह रहे शामिल
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने विधायक सावित्री मंडावी के संयोजन में इस नौ सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। इसमें दंतेवाड़ा की पूर्व विधायक देवती कर्मा, प्रदेश महामंत्री नीना रावतिया, सरिता चापा, गीता कमल, निर्मला मरपल्ली, रिंकी कोरम, पार्वती कश्यप और अनिता तेलम जैसे सदस्य शामिल हैं।
यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण
जांच समिति में शामिल सदस्यों ने कहा कि यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि छात्रावासों में रह रही बच्चियों की सुरक्षा पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। इस दौरान कांग्रेस जिलाध्यक्ष लालू राठौर, दंतेवाड़ा जिला पंचायत सदस्य सुलोचना कर्मा सहित महिला कांग्रेस और अन्य कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।