पर्यावरण सरंक्षण सराहनीय पहल – शिक्षक
शिक्षकों का कहना है कि पर्यावरण सरंक्षण सराहनीय पहल है, लेकिन बिना संवेदनशीलता के दिए आदेश न केवल कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं, बल्कि उत्साह को भी खत्म कर देते हैं। ऐसे में सरकार को निर्देश देने से पहले सामाजिक और मानवीय पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए। सरकार के स्तर पर 27 जुलाई को पौधारोपण की जियो टैगिंग कराने का आदेश जिला कलक्टर की ओर से जारी किया गया है। आदेश में कहा है कि पूर्व में किए पौधारोपण की जियो टैगिंग को इसमें न जोड़ा जाए और हर पीईईओ को कार्ययोजना बनाकर 400 पौधों की जियो टैगिंग करानी है।अपलोड करना अनिवार्य
आदेश में कहा है कि हर शिक्षक को 20 पौधे लगाने और उनकी जियो टैगिंग करनी है। साथ ही इसका पूरा रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज करना है। शिक्षकों से यह भी कहा गया है कि जब तक लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता, वे स्कूल नहीं छोड़ें। यहां तक कि हर दो घंटे में जियो टैगिंग की प्रगति की रिपोर्ट कंट्रोल रूम में अपलोड करना अनिवार्य किया है।महिलाओं से लहरिया पहनकर स्कूल आने का आदेश
हरियाली तीज विशेष रूप से महिला शिक्षकों के लिए साल भर में एक बार आने वाला त्योहार है। वे इस दिन घर-परिवार और परंपराओं में व्यस्त होती हैं, लेकिन अब सरकारी फरमान ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है। आदेश में महिलाओं से लहरिया पहनकर स्कूल आने तक की बात कही गई है, जिसे शिक्षक समुदाय ने अनुचित बताया है।तीज और रविवार को ही यह अभियान क्यों?, सवाल
इसी दिन लाइब्रेरियन भर्ती परीक्षा भी है, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षकों की ड्यूटी लगी है। ऐसे में एक ओर परीक्षा और दूसरी ओर पौधारोपण की जिम्मेदारी ने शिक्षकों को दोहरी मानसिक दबाव में डाल दिया है। शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाया है कि जब पूरे वर्ष पौधारोपण चल सकता है तो केवल तीज और रविवार को ही यह अभियान क्यों?“साप्ताहिक छुट्टी को बेवजह खत्म नहीं किया जाए”
पर्यावरण सहित अन्य सामाजिक दायित्वों का शिक्षक बहुत ईमानदारी से निर्वहन करना है। साप्ताहिक छुट्टी को बेवजह खत्म नहीं किया जाए। यदि बहुत आवश्यक है तो क्षतिपूर्ति अवकाश भी दिया जाना चाहिए। विशेषकर महिलाओं के त्योहारों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, जिससे सांस्कृतिक परंपरा नहीं टूट पाए।पवन शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम