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भरतपुर

Kargil Vijay Diwas : शहीद हवलदार सुजान सिंह की प्रतिमा को गर्व के संग राखी बांधती हैं बहनें, पत्नी को आज भी अपने पति पर है नाज, जानें क्यों

Kargil Vijay Diwas : आज 26 जुलाई, कारगिल विजय दिवस है। भारतीय सेना ने 1999 में आज ही के दिन पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर करगिल युद्ध में ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। इस विजय में राजस्थान के शहीद हवलदार सुजान सिंह की भी कुर्बानी शामिल है।

भरतपुरJul 26, 2025 / 02:31 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Kargil Vijay Diwas Bharatpur Deeg martyr Havildar Sujan Singh statue pride Sisters tie Rakhi wife is still proud of her husband

शहीद हवलदार सुजान सिंह। फोटो पत्रिका

Kargil Vijay Diwas : आज 26 जुलाई, कारगिल विजय दिवस है। भारतीय सेना ने 1999 में आज ही के दिन पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर करगिल युद्ध में ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। यह केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि भारत के जांबाज सपूतों की वीरता, बलिदान और देशभक्ति की अमर गाथा है। इस विजय के पीछे देश के हजारों जवानों की कुर्बानी है, जिनमें राजस्थान के भी सैकड़ों वीर सपूतों ने अपने प्राण मातृभूमि पर न्यौछावर कर दिए। इनमें से ही एक हैं शहीद हवलदार सुजान सिंह

बहनों को होता है गर्व

देश की रक्षा के लिए जिन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए उनकी बहनों के लिए उनके शहीद भाई सुजान सिंह आज भी जिंदा है। इन बहनों के दिलों में उनके शहीद भाई की याद हमेशा बनी रहती है। देश की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले शहीद हवलदार सुजान सिंह की दोनों बहनें आशा और रामा 24 साल से भाई-बहन के प्यार से ओतप्रोत रक्षाबंधन पर भाई की प्रतिमा को राखी बांध रही हैं। त्योहार नजदीक आते ही भले ही भाई की याद में बहनों की आंखें नम हो जाती हों, लेकिन उन्हें गर्व है कि उनके भाई ने देश की रक्षा में अपना बलिदान दिया।

शहीद सुजान सिंह को मिला शौर्य चक्र

डीग के निकटवर्ती गांव बहज निवासी हवलदार सुजान सिंह 1999 कारगिल के युद्ध में शहीद हो गए थे। वर्ष 1999 में जब कारगिल की चोटियों पर भारत ने ऑपरेशन विजय चलाया, तो उन्होंने दुश्मनों से बहादुरी से लोहा लिया और वीरगति को प्राप्त हुए। शहीद सुजान सिंह को उसकी वीरता के लिए शौर्य चक्र दिया गया। हवलदार सुजान सिंह की शहादत के बाद 2002 में गांव में शहीद सुजान सिंह की प्रतिमा बनवाई गई। इसके बाद से ही सुजान सिंह की दोनों आशा और रामा हर साल रक्षाबंधन पर गांव आती हैं और शहीद भाई की प्रतिमा की कलाई पर रखी बांधती हैं और तिलक लगाती हैं।

शहीद सुजान सिंह के हैं पांच बच्चे

मथुरा सोंख के गांव नगला देविया निवासी शहीद सुजान सिंह की सबसे बड़ी बहन आशा फौजदार ने बताया कि उन्हें गर्व है कि उनके भाई ने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। आशा ने बताया कि उनकी छोटी बहन रामा सोंख के ही गांव नगला सोन में रहती हैं। शहीद सुजान सिंह हवलदार के एक पुत्र और चार पुत्रियां हैं। उनकी शहादत से समय सभी मासूम थे। जो अब विवाहित है। शहीद सुजान सिंह का इकलौता बेटा सुनीश सिंह भी सेना में है। जो अपने पिता की शहादत के समय करीब 7-8 साल का था। पिता की शहादत के बाद से ही बचपन लिए सुनीश के मन में पिता की तरह ही देश की सेवा का जज्बा था। 24 दिसंबर 2008 में सेना में भर्ती सुनीश फिलहाल हरियाणा के हिसार में तैनात है।

पत्नी आज भी सहेजकर रखती है वर्दी

कारगिल विजय दिवस पर सुजान सिंह की शहादत से आज भी परिजनों की आंखें नम हो जाती हैं, लेकिन सुजान की शहादत पर उनकी पत्नी वीरांगना श्रीदेवी आज भी नाज करती हैं। शहीद सुजान सिंह की पत्नी श्रीदेवी अपने पति की वीरता और बलिदान को हमेशा याद रखने के लिए उनकी वर्दी को सहेज कर रखती हैं। उनकी वर्दी को धोकर, प्रेसकर संभालकर रखती हैं। यह उनके लिए प्रेम की भावुक निशानी के साथ उनके प्यार और सम्मान की प्रतीक है।

होंगे विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर जिले में विभिन्न संगठनों की ओर से कई कार्यक्रमों के आयोजन किए जाएंगे। इसके अलावा पूर्व सैनिकों की ओर से भी कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

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