बताया यह भी जा रहा है कि पिछले एक डेढ़ हफ्ते से खदान के कोल स्टॉक (Fire in coal mine) में अंदरूनी आग सुलग रही है। कोल स्टॉक से कोयला के निकलने वाले धुएं से आसपास का वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। सूत्रों की मानें तो स्टॉक में कोयला की मात्रा क्षमता से अधिक होने से आग की स्थिति निर्मित हुई है।
केतकी खदान में एसईसीएल के तत्कालीन डीटी एसएन कापरी का करीब एक वर्ष पूर्व प्रवास हुआ था। इस दौरान खदान में कोयले के भंडार पड़े होने व उठाव की व्यवस्था नहीं होने पर उन्होंने नाराजगी (Fire in coal mine) भी जताई थी। तब खदान के अधिकारियों ने उन्हें बताया था कि कोयले की क्वालिटी ठीक नहीं होने से इसका उठाव नहीं हो रहा है।
तब उन्होंने उक्त कोयले को रेलवे रैक के माध्यम से पॉवर प्लांटों को भेजने निर्देशित किया था। अधिकारियों ने उन्हें बताया कि बिश्रामपुर क्षेत्र में रेल साइडिंग 6 साल से अधिक समय से बंद है, जिसके बाद उन्होंने उक्त कोयला को ट्रकों से भटगांव साइडिंग भेज उठाव के निर्देश दिए थे। इसके बाद खदान (Fire in coal mine)में जाम पड़े कोयला को भटगांव साइडिंग भेज खपाया गया था।
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अभी खदान में पचास हजार टन से अधिक कोयले का स्टॉक (Fire in coal mine) तैयार हो गया है। प्रबंधन की मानें तो उक्त कोयले को भी भटगांव साइडिंग भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसका जल्द उठाव होना है। वर्तमान में केतकी खदान में तकनीकी समस्या के कारण उत्पादन लगभग ठप पड़ा है।
केतकी खदान के निजी ऑपरेटर द्वारा नई सीएम मशीन की खदान में शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है। पखवाड़े भर के भीतर यहां भी कोयला उत्पादन बढऩे की प्रबंधन को उम्मीद है।